बारिश के मौसम में बीमारियों से डंटकर मुकाबला "शहद" के साथ !

बारिश के मौसम में बीमारियों से डंटकर मुकाबला "शहद" के साथ !

बारिश के मौसम में बीमारियों से डंटकर मुकाबला "शहद" के साथ !

* डॉ. मिनल पांचाल 

   आयुर्वेद में शहद (मधु) को उसके औषधीय गुणों के कारण तथा मानव शरीर के लिए उसके भरपूर लाभ के चलते जाना जाता है। विशेषतः वर्षा ऋतु (बारिश के मौसम) के दौरान इसके उपयोग से होने वाले लाभ को देखते हुए इसे कुदरत का दिया अनमोल खजाना कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगा।आयुर्वेदिक सिद्धांतों के अनुसार बारिश के मौसम में शहद के कुछ लाभ बता रहीं हैं मुम्बई की मशहूर आयुर्वेदिक डॉक्टर डॉ. मिनल पांचाल ..
 _ प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने में उपयोगी है शहद : 
    शहद को मनुष्य के शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने वाले विशेष गुणों के लिए जाना जाता है। विशेषतः बारिश के मौसम में, जब संक्रमण जैसे मामले अधिक सामान्य होते हैं, शहद का सेवन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में कारगर होता है।
 _पाचन में सहायक है शहद :
   बारिश के मौसम में पाचन संबंधित विकार और पेट से जुड़ी अनेक समस्याएं हो सकती हैं। शहद, पाचन अग्नि (अग्नि) को संतुलित करने में मदद करता है, जिससे अपच और पेट फूल जाने , अफारा जैसी पाचन संबंधित
समस्याओं को शहद के सेवन से रोका जा सकता है।
_ श्वसन क्रिया से जुड़ी समस्याओं को भी रोकता है शहद: 
  शहद में विरोधी-प्रदाह और रोगाणुरोधी गुण होते हैं, जो खांसी, सर्दी, और गले के संक्रमण जैसी श्वसन से जुड़ी समस्याओं के इलाज में प्रभावी होते हैं। बारिश के मौसम में ऐसी समस्याओं की अधिकता देखने को मिलती है। ऐसे में शहद का उपयोग बेहद फायदेमंद होता है।
  _ शरीर को विषमुक्त करता है शहद :
  प्राकृतिक रूप से मानव शरीर को विष समान विष्ठा से मुक्त करने में शहद अत्यंत उपयोगी है। यह शरीर के उन विषैले तत्वों को साफ करने में मदद करता है, जो बारिश के मौसम में भारी भोजन के सेवन से शरीर के भीतर इकट्ठा हो सकते हैं।
  _ ऊर्जा का अतिरिक्त श्रोत है शहद :
   शहद , शरीर के लिए अतिरिक्त ऊर्जा का एक प्राकृतिक स्रोत है। यह थकान से लड़ने में मदद करता है और बारिश के मौसम में शरीर को अतिरिक्त ऊर्जा प्रदान कर उसे स्वस्थ्य रखता है।
 - त्वचा के लिए भी फायदेमंद और अनुकूल  : 
  बारिश के दिनों में वातावरण में बढ़ी हुई नमी मनुष्य की त्वचा के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है, जिससे फंगल इंफेक्शन (संक्रमण) जैसी स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। शहद के जीवाणुरोधी गुण त्वचा के स्वास्थ्य को बनाए रखने और संक्रमणों को रोकने में मदद करते हैं।
  _ विभिन्न दोषों को संतुलित करने में मददगार :
  आयुर्वेद के नियम के अनुसार अक्सर सभी बीमारियां त्रिदोष यानि वात, पित्त और कफ के कारण होती हैं। शहद,  कफ और वात दोषों को संतुलित करने में मददगार है। बारिश के मौसम में कफ और वात बढ़ने जैसी समस्याओं पर शहद प्रतिरोधक का कार्य करता है ।
   शहद का अधिकतम लाभ लेने के लिए आयुर्वेद कच्चे, अपरिष्कृत शहद का मध्यम मात्रा में सेवन करने की सलाह देता है, चाहे वह सीधे उपयोग कर लिया जाए या गर्म पानी , हर्बल चाय के साथ अथवा अन्य आयुर्वेदिक तैयारियों के साथ उसमें मिलाकर उपयोग किया जाए।