अदालतों मे रिक्त पड़े पदों पर जजों की नियुक्तियों के लिए सांसद श्री गोपाल शेट्टी ने कानून एवम् न्याय मंत्री श्री किरण रिजिजू को लिखा पत्र .....

अदालतों मे रिक्त पड़े पदों पर जजों की नियुक्तियों के लिए सांसद श्री गोपाल शेट्टी ने कानून एवम् न्याय मंत्री श्री किरण रिजिजू को लिखा पत्र .....

अदालतों मे रिक्त पड़े पदों पर जजों की नियुक्तियों के लिए सांसद श्री गोपाल शेट्टी ने कानून एवम् न्याय मंत्री श्री किरण रिजिजू को लिखा पत्र .....


- न्याय प्रक्रिया को गतिमान, पारदर्शी और सरल करने के प्रयास सहित
कई अहम मुद्दों पर डाला प्रकाश !


* अमित मिश्रा


       मुंबई : देशभर की अदालतों में रिक्त पड़े पदों पर जजों की नियुक्तियों के संदर्भ में उत्तर मुम्बई के सांसद श्री गोपाल शेट्टी ने कानून एवम् न्याय मंत्री श्री किरण रिजिजू को एक पत्र लिखा है। सुशासन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा कानून एवम् न्याय प्रक्रिया है इस बात का ठोस आधार रखते हुए सांसद गोपाल शेट्टी ने चार पन्नों का यह विस्तृत पत्र केंद्रीय कानून एवम न्याय मंत्री श्री किरण रिजिजू को दिनांक 15 जून 2022 को भेजा। 


प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी ने सेवा सुशासन और गरीब कल्याण का मंत्र पूरे देश को दिया है । उत्तर मुंबई के भाजपा सांसद श्री गोपाल शेट्टी लोकसभा पटल से लेकर अपने संसदीय क्षेत्र तक इस मंत्र का अक्षरशः अमलीकरण कर रहे हैं। एक सामान्य कार्यकर्ता से लेकर नगरपालिका, विधानसभा एवम् लोकसभा तक प्रशासन के विविध पटलों पर सांसद शेट्टी का दीर्घकालीन अनुभव रहा है। प्रशासन(ब्यूरोक्रेट्स), समाजसेवा और राजनीति के प्रत्येक पहलू पर सांसद गोपाल शेट्टी की नजर व सक्रिय भूमिका रही है। 


सांसद गोपाल शेट्टी ने इस पत्र में केंद्रीय न्याय मंत्री से निवेदन किया है कि "भारत की न्याय प्रणाली में कई चुनौतियों और जटिलताओं का सामना करते हुए भी न्याय प्रक्रिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारतीय संविधान, लोकतंत्र और कानून व्यवस्था का सम्मान करते हुए भारत देश ने अपने आप में एक सम्मानजनक स्थान बनाया है। परंतु इस लोकोक्ति को भी ध्यान में रखना होगा कि "जस्टिस डिलेड इज़ जस्टिस डिनायड" अर्थात "देर से न्याय होना भी न्याय न होने" जैसी बात है।
श्री शेट्टी के अनुसार आज यदि मुंबई उच्च न्यायालय की बात करें तो 2019 की भी अनेक जमानत याचिका की सुनवाई लंबित है। ऐसे में रिक्त पड़े स्थानों पर यदि न्यायाधीशों की शीघ्र नियुक्तियां होंगी तो अनेक निर्दोष इंसानों को जल्द उचित न्याय मिलना संभव हो जाएगा। 

सांसद श्री शेट्टी के अनुसार भारत का संविधान कहता है कि 'सौ गुनहगार छूट गए तो कोई बात नहीं , परंतु एक भी निर्दोष को कत्तई सजा नही मिलनी चाहिए' इस बात को मद्देनज़र रखते हुए न्याय प्रक्रिया को गतिशील बनाकर लंबित याचिकाओं का निपटारा करना आवश्यक है । हाल ही में एक प्रसिद्ध अभिनेता के पुत्र आर्यन के मामले में शीघ्र सुनवाई और उसे जमानत मिल जाना, पर इस मुकाबले में अन्य कई याचिकाएं न्यायालय पटल पर सुनवाई का इंतजार कर रही हैं। इस शीघ्र सुनवाई वाली प्रक्रिया की भी जांच माननीय उच्च न्यायालय को करनी चाहिए।" 

ऐसे अनेक संवेदनशील मुद्दों के साथ-साथ सांसद श्री गोपाल शेट्टी ने केंद्रीय कानून एवम न्याय मंत्री श्री रिजिजू को लिखे पत्र में देश के व्यापारी वर्ग की वेदना का भी विस्तार से जिक्र किया है। लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी व्यापारी वर्ग को लंबे समय तक सुनवाई व न्याय के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ती है , अतः व्यापारीवर्ग न्यायालय में जाना टालते हैं। भ्रष्टाचार पनपने का न्याय प्रक्रिया में  ढिलाई भी एक अहम कारण है। पूर्ण संख्या में  न्यायमूर्ति न्यायालयों में हों तो  मामले शीघ्र ही सुलझेंगे और देश सुशासन की ओर गतिमान होगा। देरी के चलते ही सात वर्षों तक एक व्यक्ति को जेल में रहना पड़ा था और अंत में वह निर्दोष पाया गया। मात्र गलत परिचय के कारण वह जेल भेजा गया था । ऐसी विडंबना भी न्याय प्रक्रिया में ढिलाई को ही इंगित करती हैं। यदि न्यायालयों में न्यायाधीशों के रिक्त स्थानों की पूर्ति की जाए तो भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगेगी तथा अनगिनत लंबित याचिकाओं का  निराकरण भी होगा । तब हम आजादी के अमृत महोत्सव को सही मायने में मना सकेंगे, सांसद श्री गोपाल शेट्टी ने पत्र में यह भी लिखा है। 

लोक अदालतों का निर्माण भिन्न-भिन्न कक्षा में हो, याचिकाकर्ताओं का आर्थिक शोषण न हो, अदालती कार्रवाई में भारतीय भाषाओं का इस्तेमाल हो, राज्य के न्यायालय में सामान्य नागरिक, गरीब नागरिक भी अपने राज्य की स्थानीय भाषा में व्यवहार कर सके ताकि वह पूर्ण करवाई को सरलता से समझ सके यह भी मांग सांसद श्री शेट्टी ने दोहराई है। 
आगे उन्होंने लिखा है कि किसी राष्ट्र की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए कानून और न्याय व्यवस्था को मजबूत करना और सुधारना आवश्यक है। अमरीका जैसे देशों की तर्ज पर हमने भी ये सोचना चाहिए। अमरीका देश की भौगोलिक स्थिति व क्षेत्र से हमारे देश की तुलना कर इस विषय पर सोचने की बजाय हमें यह समझना होगा कि कानून-व्यवस्था के विकास से देश की आर्थिक स्थिति का विकास संभव है ।

 नागरिक विवाद (civil dispute) जैसे केस को सुलझने में, न्याय मिलने में सालों साल लग जाते हैं । कभी-कभी एक दशक समाप्त होने तक भी न्याय या सुनवाई नहीं हो पाती है, यह एक बड़ी विडंबना है। इन सब विषय में सरकार का दोष नहीं , परंतु सरकार इन सभी विषयों को दुरुस्त अवश्य कर सकती है। 

सांसद गोपाल शेट्टी के पत्र में एक अहम मुद्दा और भी यह है कि न्यायाधीशों की सेवा निवृत्ति उपरांत नई नियुक्तियों में यदि शीघ्रता लाई जाए तो याचिकाओं की लंबित सुनवाई में 6 प्रतिशत तक की कटौती अवश्य हो सकती है। बैंकों के साथ कानून- व्यवस्था को जोड़कर समझने से कई वित्तीय मामले सालों साल न सुलझने के कारण भी राष्ट्र की आर्थिक नीति में विकास का मार्ग संकीर्ण होता है। कई वित्तीय जैसे कि ऋण संबंधी मामले शीघ्रता से न्यायाधीशों के रिक्त पदों की पूर्ति से सुलझेंगे और इस प्रकार आर्थिक समृद्धता भी देश को प्राप्त होगी। 

कानून एवम न्याय प्रक्रिया के अनेक मुद्दों पर सांसद गोपाल शेट्टी  ने अभ्यासपूर्ण निवेदन देकर  कानून एवम न्याय मंत्री श्री किरण रिजिजू के कार्यकाल व  कार्यपद्धति की सराहना करते हुए कहा है कि "आपके कार्य की प्रशंसा कानून और न्याय मंत्री के तौर पर पूरे देश में हो रही है, और आगे भी महत्वपूर्ण लोक अदालत, स्थानीय भाषाओं में न्यायालय की कार्रवाई, न्यायाधीशों की रिक्त पदों की पूर्ति जैसे निर्णय लेकर आपके कार्यकाल में मील का पत्थर साबित हों, मैं ऐसी शुभेच्छा देता हूं ।"