शहरी सेस इमारतों की भांति उप नगर की सेस इमारतों के लिए भी सुविधा दिलाने की मांग करते हुए सांसद गोपाल शेट्टी ने मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री को लिखा पत्र 

शहरी सेस इमारतों की भांति उप नगर की सेस इमारतों के लिए भी सुविधा दिलाने की मांग करते हुए सांसद गोपाल शेट्टी ने मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री को लिखा पत्र 

शहरी सेस इमारतों की भांति
उप नगर की सेस इमारतों के लिए भी सुविधा दिलाने की मांग करते हुए सांसद गोपाल शेट्टी ने मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री को लिखा पत्र 

* अमित मिश्रा


        बोरीवली : उत्तर मुंबई के लोकप्रिय सांसद गोपाल शेट्टी ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे तथा उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़वनीस को मुंबई शहर में सेस (उपकर योग्य) इमारतों की मरम्मत पर खर्च करने और  पुनर्निर्माण के लिए मैट एरिया को दोगुना देकर विकास कार्य का मार्ग प्रशस्त करने में सरकार की भूमिका के संबंध में खुला खत लिखा है।
   सांसद गोपाल शेट्टी के पत्र में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि मुंबई शहर में सेस बिल्डिंग के लिए कई दशकों से सरकार के माध्यम से बड़ी रकम खर्च करके सभी तरह की नागरिक सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं, ये अच्छी बात है कि यह पैसा मरम्मत के लिए खर्च किया जाता है।
लेकिन डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर के संविधान का मतलब शहर के लोगों के लिए एक न्याय और उपनगरों के लोगों के लिए अलग न्याय नहीं है। बल्कि सरकार को  अगली विधानसभा सेशन में घोषणा करनी चाहिए कि उपनगरों के सेस इमारतों में रहनेवाले लोगों को भी शहरी क्षेत्र के सेस भवनों में मिलने वाली सभी सुविधाएं मिलेगी।  
   सांसद गोपाल शेट्टी ने उल्लेख किया है कि ऐसा कानून बना दिया जाना चाहिए जिससे उप नगरों में  किराए की प्रापर्टी में रहनेवाले हजारों लोगों को भी न्याय मिल सके। 
    पत्र के अनुसार आज की तारीख में महानगरपालिका ने उपनगर में सैकड़ों इमारतों को तोड़ने के लिए धारा 354 के तहत नोटिस दिया है। इसके चलते जमीन मालिकों ने महत्वहीन इमारतों को फिर से  बनाने का काम भी शुरू कर दिया है। यहां बचे हुए सभी किरायेदार बेघर हो गए हैं। यह महाराष्ट्र जैसे प्रगतिशील राज्य के लिए उपयुक्त नहीं है। अतः कृपया ऐसे सभी किरायेदारों को यथाशीघ्र राहत दिलाने का कार्य मुख्यमंत्री जी करें। 
   सांसद श्री शेट्टी ने आगे स्पष्ट किया है कि मैं भी सरकार का हिस्सा हूं और मेरा काम सिर्फ सरकार से मांग करना ही नहीं बल्कि वैकल्पिक समाधान सुझाना भी है, इसलिए एस.आर.ए.  जिस प्रकार जमीन मालिकों को 25% पैसा देकर मुक्त कराती है, उसी प्रकार इन सभी किराए की संपत्तियों के मालिकों को भी 25% पैसा देकर उन्हें मुक्त करा सकने का नियम बने। ऐसे में नए डेवलपरों द्वारा रहने वालों के सहयोग से विकास कार्य आसानी से किया जा सकता है। सरकार के लिए इस मामले में तत्काल ठोस भूमिका निभाना नितांत आवश्यक है।