शाहजहांपुर के निगोही में मिला ताम्रयुगीन सभ्यता के तांबे के प्राचीन हथियारों का जखीरा !
शाहजहांपुर के निगोही में मिला ताम्रयुगीन सभ्यता के तांबे के प्राचीन हथियारों का जखीरा !
* संवाददाता
लखनऊ : उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर स्थित निगोही क्षेत्र में कृषकों एवं मजदूरों को जमीन में दबे ताम्रयुगीन सभ्यता के प्राचीन तांबे के हथियार मिले हैं । सूचना मिलने पर यह सारे प्राचीन हथियार डॉ. अमित राय जैन (निदेशक, शहजाद राय रिसर्च इंस्टीट्यूट, बागपत यूपी) द्वारा एकत्रित किये गए । विजय कुमार (मुख्य संपादक, इंडियन जर्नल ऑफ आर्कियोलॉजी, लखनऊ [www.ijarch.org] द्वारा मिट्टी के टुकड़ों और कुछ हथियारों का अध्ययन किया गया । उनके द्वारा ढेलों मे दबे हुये हथियारों को बीएसआईपी (बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पेलियोसाइंसेज, लखनऊ) के प्रोफेसर रवि भूषण को भेज दिया गया । उन्होने इसका अध्ययन किया। निगोही से प्राप्त हथियारों की संख्या 200 से अधिक है, इन ताम्र निधि में तलवारें, भाले, कुल्हाड़ियां, छेनी, मानवाकृतियां, हस्त-रक्षा कवच, चॉपर, चाकू और आरी मिले हैं ।
पूर्व में भी इस प्रकार के हथियार पूरे उत्तर भारत मे पाये गये थे किन्तु इनकी सही तिथियां अभी तक प्राप्त नहीं की जा सकी थी । कुछ पुराविदों ने इनकी तिथि के सम्बन्ध में अनुमान लगाये थे | इन हथियारों और इनसे जुड़ी गैरिक मृदभाण्ड सभ्यता की सही तिथि, तत्कालीन जलवायु और अन्य पुरातात्विक पैरीमीटर पता लगाने के लिये इन अवशेषों का गहनता से विश्लेषण और शोध किया गया । रेडियो कार्बन डेट का पता लगाने के लिये उन मिट्टी के ढ़ेलो का जिसमे हथियार दबे हुये पाये गये थे, उनका अध्ययन करने के लिये एक्सेलरेटेड मॉस स्पैक्ट्रोमीटर का प्रयोग किया गया । इस अध्ययन के उपरान्त इन अवशेषों की कार्बन तिथियां 3610 (कैलिब्रेटेड बी0पी) से लेकर 4328 (कैलिब्रेटेड बी0पी) तक पायी गयी ।
यह कालखण्ड मैच्योर हड़प्पा काल से लेकरलेटर हड़प्पा काल तक फैला हुआ है । मिट्टी में पाये हुये ऑर्गैनिक मैटर के माध्यमसे तत्कालीन जलवायु का निर्धारण करने के लिये कार्बन आइसोटोप स्टडी और कार्बन नाइट्रोजन अनुपात की स्टडी की गयी । इन अवशेषों की δ 13 C रेन्ज -18 से -20 प्रति हजार भाग पायी गयी और कार्बन नाइट्रोजन अनुपात 8 से 15 के बीच मे पाया गया, इससे यह परिलक्षित होता है कि जिस स्थान से हथियार पाये गये, वह झील के किनारे था । इसके अतिरिक्त अन्य क्लाइमेटिक पैरामीटर्स का पता लगाने के लिये इन सैम्पल्स का विस्तृत शोध और अध्ययन अभी चल रहा है।