बाल कथा : गुल्लक

बाल कथा : गुल्लक
कविता सिंंह

         बाल कथा : गुल्लक
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      पांच साल की एक छोटी सी लड़की थी,  सलोनी....। उसके पास एक मिट्टी का बहुत ही सुंदर तोते वाला "गुल्लक" था। सलोनी अपनी मम्मी से लेकर रोज उसमें दस रुपए रखती थी।
उस नन्हीं सी बच्ची को उस "गुल्लक" से इतना ज्यादा लगाव था की रात में जब सोती थी तब अपनी गुल्लक को अपने सिर के पास रखकर सोती थी की कोई पैसे न निकाल ले उससे।
 रक्षा बंधन पर उसके मामा जी घर आए तो उनको देखकर नन्हीं सलोनी ने उनसे पूछा "आप मुझे कितने पैसे दोगे गुल्लक में रखने के लिए?"।
 वहां बैठे सारे लोग उस छोटी सी बच्ची की मासूमियत देखकर हंसने लगे ।

"अरे बस इतनी सी बात?अभी लो तुम सौ रुपए और डाल दो अपनी गुल्लक में"  उसके मामाजी ने उससे कहा और सौ की एक नोट सलोनी को दे दिया। दूसरे दिन उसके मामा जी अपने घर चले गए।
एक दिन सलोनी के पापा दफ्तर में काम कर रहे थे तभी उनके पेट में अचानक से बहुत तेज दर्द उठा।
वो दर्द इतना भयानक था कि वो बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे।
दफ्तर के कर्मचारी सलोनी के पापा को डॉक्टर के पास लेकर गए और उसकी मम्मी को फोन करके हॉस्पिटल आने को भी कह दिया। 
 फोन पर पूरी बात सुनकर उसकी मां बोली "अरे क्या हो गया उन्हें ?
अभी सुबह तक तो बिल्कुल ठीकठाक  थे !"
फिर वह सलोनी अपनी को लेकर हॉस्पिटल पहुंच गई।
 डॉक्टर सलोनी की मां को समझाने लगे कि "देखिए इनका ऑपरेशन करना होगा इन्हें भयानक बीमारी है।"

"पर डॉक्टर साहब इस ऑपरेशन में खर्च कितना आएगा?" सलोनी की मां ने सहमते हुए पूछा था।
डॉक्टर ने कहा "कम से कम तीन लाख रुपए लग जायेंगे। "
"ठीक है डॉक्टर साहब आप ऑपरेशन की  तैयारी कीजिए " सलोनी की मां ने डॉक्टर से कहा और पैसों का इंतजाम करने घर चली आई। पर घर आकर वह रोने लगी थी और कहने लगी कि " मेरे पास तो इतने पैसे भी नहीं है जो बीमारी में लगा सकूं क्या करूं मैं?
सलोनी पास बैठी सब कुछ चुप चाप सुन रही थी।
अगले दिन किसी तरह इधर उधर से  इंतजाम करके सलोनी की मां पैसे लेकर हॉस्पिटल गई। साथ में सलोनी भी थी। जब दोनों  हॉस्पिटल पहुंचे तो उसकी मां ने गौर किया की सलोनी अपना "गुल्लक" भी साथ लेकर आई थी 
 मां उसे डांटने लगी "तुम जहां भी जाती हो इसे लेकर क्यों जाती हो?
सलोनी रोते हुए बोली "मां, मैंने सोचा मेरे पापा की इतनी अधिक तबियत खराब है और आपके पास पैसे भी नहीं हैं, तो मैं इस  गुल्लक को रखकर क्या करूंगी। इसलिए साथ ले लिया कि शायद इसमें रखे पैसे हॉस्पिटल में खर्च के काम आ जाएं।" 
  सलोनी की भोली बातें सुनकर उसकी मां के आंखो में आंसू आ गए और वो अपनी बेटी को सीने से लगा कर रोने लगी थी।

* लेखिका : कविता सिंह
                      ( नोएडा )