नर्चर.फार्म ने इनक्यूबेशन प्रोग्राम 'कैटालिस्ट' लॉन्च किया
नर्चर.फार्म ने इनक्यूबेशन प्रोग्राम 'कैटालिस्ट' लॉन्च किया
* बिज़नेस रिपोर्टर
कृषि तकनीक (एग्री-टेक) उद्योग ने बहुत कम समय में काफी तेज रफ्तार से तरक्की की है। कई स्टार्टअप्स इस क्षेत्र में आगे आ रहे हैं, लेकिन व्यावहरिक रूप से अपना बिजनेस खड़ा करने के लिए जरूरी है कि उन्हें उचित मार्गदर्शन और संरक्षण के साथ-साथ संसाधनों तक पर्याप्त पहुंच मिले। इसी बात को ध्यान में रखते हुए, भारत की सबसे बड़ी और प्रमुख एग्री-टेक कंपनी नर्चर.फार्म (nurture.farm) अपने तकनीकी समाधानों की मदद से खेती का ऐसा पारितंत्र तैयार कर रही है जोकि सुविधाजनक होने के साथ ही स्थायी भी हो। नर्चर.फार्म ने अपना इनक्यूबेशन प्रोग्राम ‘कैटालिस्ट’ लॉन्च किया है। यह प्रोग्राम एग्रीटेक के क्षेत्र में काम करने वाले स्टार्टअप्स को अपना अस्तित्व बनाए रखने और आगे चलकर अपना दायरा बढ़ाने में मदद प्रदान करेगा।
नर्चर.फार्म का कैटालिस्ट प्रोग्राम एग्री-टेक स्टार्टअप्स को कृषि व्यवस्था के तहत प्रमुख हितधारकों के साथ साझेदारी करने में सहयोग देगा। उन्हें उनके खर्चों के लिए पूंजी उपलब्ध कराई जाएगी। इतना ही नहीं, वह अपने उत्पादों एवं समाधानों का बड़े पमाने पर परीक्षण कर सकेंगे और उन्हें इंफ्रास्ट्रक्चर, कृषि उद्योग से जुड़ी विभिन्न जानकारियां और मानव संसाधन उपलब्ध कराने में मदद दी जाएगी। इस प्रोग्राम के तहत स्टार्टअप्स को अपनी वृद्धि की रफ्तार तेज करने के लिए बड़े पैमाने पर सहयोग दिया जाएगा। इस इनक्यूबेशन प्रोग्राम में तरह-तरह के स्टार्टअप्स को विकास में पूरा सहयोग मिलेगा, जिसमें प्री-रेवेन्यू, सीड-फंडेड या एंजेल-फंडेड स्टाटर्टअप्स शामिल हैं। कंपनी नए-नए क्षेत्रों में नई खोज कर रहे इन स्टार्टअप्स को सहायता देने के लिए पूरी तरह से तत्पर है।
नर्चर.फार्म के बिजनेस हेड और सीओओ ध्रुव साहनी ने कहा, “इस समय एक ओर कृषि के क्षेत्र में उत्पादकता तेजी से कम हो रही है। वहीं दूसरी ओर, दुनिया की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है और 2050 तक इसके 10 अरब तक पहुंचने का अनुमान है। इससे खाद्यान की कमी होने का संकट उत्पन्न हो सकता है। इसके अलावा फसलों में लगने वाले कीटों, बीमारियों और प्राकृतिक आपदाओं से भी सालाना 40 फीसदी से ज्यादा उपज नष्ट हो जाती है और इस वजह से हर साल 108 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान झेलना पड़ता है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए हमें ऐसे उपाय करने की जरूरत है जोकि पैदावार को बचाने में कारगर हों और खाद्य सुरक्षा की हमारी चिंता को दूर करने में मदद कर सकें।”