एण्डटीवी के शो ‘दूसरी माँ’ में यशोदा बनीं नेहा जोशी कहती हैं ‘‘टाइपकास्टिंग अब सही भूमिकाएं चुनने में बाधा नहीं’’

एण्डटीवी के शो ‘दूसरी माँ’ में यशोदा बनीं नेहा जोशी कहती हैं ‘‘टाइपकास्टिंग अब सही भूमिकाएं चुनने में बाधा नहीं’’

एण्डटीवी के शो ‘दूसरी माँ’ में यशोदा बनीं नेहा जोशी कहती हैं ‘‘टाइपकास्टिंग अब सही भूमिकाएं चुनने में बाधा नहीं’’

* सिने रिपोर्टर

            नेहा जोशी एण्डटीवी के नये फैमिली ड्रामा ‘दूसरी माँ‘ में यशोदा की लीड भूमिका निभाएंगी। इस शो में यशोदा (नेहा जोशी) की कहानी दिखाई गई है, जो उत्तर प्रदेश में अपने पति, दो बेटियों और सास-ससुर के साथ रहती है। उसकी खुशहाल और शांत जिंदगी में उस समय तूफान आ जाता है, जब वह और उसके पति अनजाने में अपनी (पति की) नाजायज संतान कृष्णा (आयुध भानुशाली) को गोद ले लेते हैं। इस शो में लीड किरदार यशोदा, जिसका सामना अपने पति के अतीत से हुआ है, के सफर और अपने सौतेले बेटे के साथ उसके विवादित व मजबूत रिश्ते को दिखाया गया है। इस बेबाक इंटरव्यू में नेहा जोशी अपने नये शो, किरदार, शादी के बाद की जिन्दगी, इत्यादि पर बात कर रही हैं।     

* ‘दूसरी माँ’ में अपने किरदार के बारे में हमें बताइये ?

- यशोदा एक समर्पित हाउसवाइफ और एक सामाजिक कार्यकर्ता भी है। वह सबसे प्यार करनेवाली, अत्यंत व्यावहारिक और दूसरों की मदद करने वाली महिला है। उसकी दो बेटियां हैं, जिन पर उसे गर्व है। वह कभी भी किसी का अपमान नहीं करती, लेकिन दूसरों को यह समझाने से भी नहीं हिचकिचाती कि उसने किसी को भी उसका अपमान करने की इजाजत नहीं दी है। लोगों को अपनी गलतियों का अहसास कराने के लिये उसके पास अनूठे और चतुराईपूर्ण तरीके हैं। अपने काम के दौरान, उसकी मुलाकात माया से होती है, जो एक सिंगल मदर एवं अविवाहित महिला है और अपनी जिंदगी की आखिरी सांसें गिन रही है। वह माया से वादा करती है कि उसके एकलौते बेटे कृष्णा को एक सुरक्षित एवं उज्जवल भविष्य देगी। 

* असल जिंदगी में यशोदा और आप में क्या समानतायें हैं ?

- यशोदा के किरदार की कुछ बातें मेरे जैसी हैं। यशोदा की तरह मैं भी जिन्दगी के प्रति वास्तविक नजरिया रखती हूँ और मुझे धोखा पसंद नहीं है। मैं दूसरों की इज्जत करती हूँ और तारीफ पाना मुझे अच्छा लगता है। हालांकि, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मैं अपने परिवार और पति से प्यार करती हूँ।

*एक महाराष्ट्रियन होने के नाते आपने इस किरदार की बोली पर कैसे काम किया, क्योंकि यह शो उत्तर प्रदेश की पृष्ठभूमि पर आधारित है ?

- एक कलाकार के तौर पर मुझे नई चुनौतियाँ लेना पसंद है। इससे मुझे संतुष्टि होती है और एक कलाकार के रूप में आगे बढ़ने में मदद मिलती है। कोई न कोई नई चीज सीखने के लिये तो हमेशा ही रहती है। महाराष्ट्रियन होने के बावजूद मुझे यूपी की बोली और जीने के तौर-तरीके में खुद को ढालना था। इस किरदार की बारीकियों को समझने के लिये मैंने वर्कशाॅप में काफी समय बिताया, ताकि अपने किरदार में ढल सकूं। मैं यूपी की दो महिलाओं से भी मिली, ताकि उनके तौर-तरीकों और जिन्दगी को देखकर समझ सकूं। चूंकि मैं थियेटर करती रहती हूँ, इसलिये भी किरदार को प्रभावी तरीके से अपनाने और पेश करने में मुझे मदद मिलती है। इस शो के डायरेक्टर इम्तियाज़ पंजाबी एक परफेक्शनिस्ट हैं और हर चीज पर बारीकी से ध्यान देते हैं। इससे पहले मैं ‘एक महानायक- डाॅ. बी. आर. आम्बेडकर’ में उनके साथ काम कर चुकी हूँ, तो वे क्या चाहते थे, उसे समझना और उसमें ढलना आसान रहा।

* आप एक बार फिर आयुध भानुशाली के साथ काम कर रही हैं। आपको कैसा लग रहा है ?

- हम बहुत खुश और रोमांचित हैं। हम हमेशा एक-दूसरे के संपर्क में रहे हैं और जब भी संभव हुआ, हमने काॅल, मैसेज या मुलाकात की। हमारा रिश्ता हमेशा से बेहद खास रहा है। असल जिन्दगी में भी मैं उसे अपने बेटे की तरह रखती हूँ। जब मुझे पता चला कि ‘दूसरी माँ’ में एक बार फिर उसके साथ काम करूंगी, तब मैं काफी खुश थी और आयुध से बेहतर को-स्टार की इच्छा नहीं कर सकती थी। हमने एक-दूसरे के साथ बिताये वक्त को हमेशा पसंद किया है और अब हम खेलने, बातें करने और इस शो की रिहर्सल और शूटिंग में खूब सारा समय बिताएंगे। मुझे यकीन है कि लोग हमारे रिश्ते को उतना ही पसंद करेंगे, जितना उन्होंने पिछले शो में किया था। 

*क्या इस शो के काॅन्सेप्ट जैसा कोई अनुभव आपके किसी दोस्त, परिवार के सदस्य या पड़ोसी को निजी तौर पर हुआ है?

- मेरे परिवार या जानकार लोगों में से किसी के साथ ऐसा कभी नहीं हुआ। हालांकि, मैंने ऐसी कहानियाँ सुनी हैं, जिनमें एक माँ ऐसे बच्चे की देखभाल करती है, जो उसकी अपनी संतान नहीं है। ‘दूसरी माँ’ की कहानी, परिस्थितियाँ और एक माँ एवं उसके पति के नाजायज बच्चे के साथ उसका सफर इस शो को भारतीय टेलीविजन के सबसे अनूठे फैमिली ड्रामाज में से एक बनाता है।

* क्या आपको लगता है कि एक बार फिर माँ की भूमिका निभाने से एक्टर के तौर पर आप टाइपकास्ट होंगी ?

- किरदार की शख्सियत, सफर और प्रस्तुति मायने रखती है। मजबूत किरदार न केवल अलग दिखता है, बल्कि कलाकार को विकसित भी करता है। मुझे ऐसे किरदारों को निभाना पसंद है, जो को अपने जैसे लगते हों और  अनोखे होते हैं। यशोदा का किरदार मुझे उसकी शख्यियत के अलग-अलग पहलूओं को जानने और सामने लाने में सक्षम बनाता है। टाइपकास्टिंग अब सही भूमिकाएं चुनने में बाधा नहीं है। वक्त बदल चुका है और दर्शक एक्टिंग में हमारे हुनर की तारीफ करते हैं। 

* आपकी हाल ही में शादी हुई है और अब आप जयपुर में शूटिंग कर रही हैं। यह सब आप कैसे संभाल रही हैं ?

- ओमकार एक बेहद सपोर्टिव हसबेंड हैं। मुझे याद है कि इस शो का आॅफर तब मिला था, जब हमने अपनी शादी की तारीखें तय कर ली थीं। मैं इस शो में काम करने को लेकर रोमांचित थी, लेकिन शादी और शूटिंग की तैयारियों को एक साथ संभालने और फिर जयपुर आने की चिंता भी थी, जहाँ हमारे शो की शूटिंग हो रही है। लेकिन ओमकार ने ही मुझे सहूलियत का एहसास दिया और हर काम बहुत सहजता से हुआ। हमें मिले कई साल हो चुके हैं और हम आठ महीने तक लिव-इन में रहे। इस तरह हमने एक-दूसरे को समझने के लिये एक-दूसरे के साथ काफी समय बिताया है। मेरे पास उनके साथ बिताने के लिये बहुत कम समय है, क्योंकि मैं शूटिंग पर ध्यान दे रही हूँ, लेकिन हम जयपुर या मुंबई में जल्दी ही मिलने की योजना बनाएंगे। सबकुछ आसानी से संभालने में उनका साथ मिलना मेरी खुशकिस्मती है।

_ नेहा जोशी को दूसरी मां में यशोदा के किरदार में देखें,  प्रीमियर आज रात 8:00 बजे से , हर सोमवार से शुक्रवार , सिर्फ एण्डटीवी पर!*