सांसद श्री गोपाल शेट्टी ने एसआरए के विकास कार्यों को गति दिलाने की मंशा से मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
सांसद श्री गोपाल शेट्टी ने एसआरए के विकास कार्यों को गति दिलाने की मंशा से मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
* अमित मिश्रा
बोरीवली : उत्तर मुंबई के लोकप्रिय सांसद श्री गोपाल शेट्टी ने एसआरए के विकास कार्यों को गति दिलाने की मंशा से अपनी मांग रखते हुए महाराष्ट्र के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे को एक पत्र भेजा है।
इस पत्र में सांसद श्री शेट्टी ने स्पष्ट किया है कि मुंबई शहर में लगभग 50 प्रतिशत नागरिक झोपड़पट्टी और चाल में रहते हैं। सरकार और प्रशासन का प्रयास रहता है कि इनको करीब 300 वर्गफुट का पक्का मकान मिले । परंतु इस अत्यंत आवश्यक और मानवीय कार्य में, कई जगहों पर स्वार्थी पदाधिकारियों समाजकंटकों और आसामाजिक तत्व अपने निहित स्वार्थ के लिए बाधा डालते रहते हैं। जिससे इस कार्य में अत्यधिक विलंब होने जैसी स्थितियां निर्मित हो जाती हैं। स्लम डिक्लरेशन से लेकर विविध प्रकार की अनुमति के लिए पैसों के लेनदेन का बड़ा खेल चलता है और विकास कार्यों को गति नहीं मिल पाती है।
श्री शेट्टी के अनुसार झोपड़पट्टी पुनर्वसन योजना ( एसआरए) की योजना इतनी कठिन और विकट है कि विकासक को प्रामाणिकता से काम करने के लिए अपनी जगह के सर्वे तक के लिए पुलिस परमिशन नहीं मिलती। कांदिवली के एक मामले का उदाहरण देते हुए श्री शेट्टी ने स्पष्ट किया है कि अधिकृत रूप से आवश्यक शुल्क भरने के उपरांत भी सर्वे के दौरान जिन लोगों का इस मामले से दूर तक का कोई संबंध नहीं ऐसे लोगों ने सर्वे में इतनी बाधा डाली कि सर्वे का काम रोकने तक की नौबत आ गई। सर्वे का काम बंद करना पड़ा। इसप्रकार के अड़ंगे डाले जाते रहे तो मुंबई शहर के विकास की गति थम जाएगी।
* श्री शेट्टी ने पत्र में अपनी ओर से शासन को जनोपयोगी दो सुझाव दिए है..
1 - विकासक जिस भूखंड पर विकास करना चाहता है उस प्लॉट के आकारानुसार शासन एक शुल्क निश्चित करे और शासकीय आधिकारियों की उपस्थिति और देखरेख में एक निश्चित अवधि में विकासक से किराया लेकर झोपड़ाधारक को उचित जगह शिफ्ट करते हुए विकासक को उन्मुक्त ढंग से काम शुरू करने और समय पर ( 2 वर्ष के भीतर की सीमा में ) मकान बनवाकर झोपड़ाधारी को उसके पक्के मकान ( सदनिका ) में वापस शिफ्ट करने में योग्य मदद मिले। इस विषय में विकासकों की मीटिंग लेकर शासन सबकुछ स्पष्ट कर दे तो एसआरए के कार्य और मुंबई के विकास को गति मिलेगी।
2- प्राइवेट भूखंड मालिक जो स्वयं उस स्थान पर विकास नहीं करना चाहते और अन्य विकासक को विकास की अनुमति भी नहीं देते ऐसे मामलों में भू संपादन की प्रणाली का नियम तो है परंतु इसमें अत्यधिक समय बीत जाता है। इस संदर्भ में शासन को पहले मैं पत्र दे चुका हूं कि ऐसे मामले में भूखंड मालिकों को 5 वर्ष की काल मर्यादा देनी चाहिए और इस मर्यादा में अगर वे उस भूखंड पर विकास करके पक्के मकान उपलब्ध नहीं कराते तो शासन को वन टाइम सरक्युलर के माध्यम का उपयोग करना चाहिए। जिससे शासन स्वयं या अन्य योग्य विकासक से पक्के मकान बनवाकर उसमें झोपड़ाधारक को शिफ्ट कर सके।