कजरी - बड़ा मन हमार बा ना
कजरी - बड़ा मन हमार बा ना
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( ननद अपनी भौजाई से झूला डालने की ज़िद करते हुए कहती है कि झूला झूलने का मेरा बहुत मन कर रहा है। बहुत दिन हो गए झूला झूले, इसलिए अब चलो भैया घर पर नहीं है दोनों खूब मस्ती करेंगे।)
*भौजी झूलना झूलाद बहार बा।*
*बड़ा मन हमार बा ना।।*
भईया नाहीं बाटेन घरवां,अइहैं काल कितौ परवां।-2
तरवां खटिया के पटरा व नार बा।।
*बड़ा मन हमार बा ना।।*
चल निमिंया के छइयां,झूला डाल वहीं ठइयां।-2
पइयां मार पतेंगा मनुहार बा।
*बड़ा मन हमार बा ना।।*
भरा भादव दुवार,बितल श्रावणी सुम्मार।-2
तीज़ कजरी मनावे के विचार बा।
*बड़ा मन हमार बा ना।।*
बरसे श्रावणी फुहार,लागे जिया ना हमार।-2
यार सुन तनी दिल क गुहार बा।
*बड़ा मन हमार बा ना।।*
'दीप' खझड़ी बजइहैं,सखी हिल-मिल गइहैं।-2
अइहैं सावन में सजना क तार बा।
*बड़ा मन हमार बा ना।।*
* कवि : विनय शर्मा 'दीप'
( मुंबई )