मातृदिवस पर विशेष कविता - नीम...
मातृदिवस पर विशेष कविता - नीम
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नीम हमारी मौसी है,
नीम हमारी माता है,
नीम हमारी संस्कृति है,
नीम जेठ की छाता है।
दरवाजे की शान है ये,
औषधियों की खान है ये,
जहां शीतला रहतीं हैं,
पावन वही मकान है ये,
ऑक्सीजन चौबिस घंटे,
जिस तरु से जग पाता है,
नीम हमारी मौसी है,
नीम हमारी माता है।
सूखे पत्ते गुणकारी,
हैं अनाज के हितकारी,
चर्मरोग का नाशक ये,
दूर भगाए बीमारी।
ज्ञानी वैद्य अहर्निश ही,
जिस तरु का गुण गाता है,
नीम हमारी मौसी है,
नीम हमारी माता है।
ज्ञानी जन को बुद्ध करे,
प्रदूषण अवरुद्ध करे,
युद्ध करे खल घटकों से,
पर्यावरण को शुद्ध करे,
राही नित सुख पाता है,
जिसका हिय से नाता है,
नीम हमारी मौसी है,
नीम हमारी माता है।
वन की चंदन-रोली है,
ऐसी नीम-निबोली है,
लाखों गुण हैं एक जगह,
गूंगी पर मुंहबोली है।
पुण्य यज्ञ का पाता है,
जो इक नीम लगाता है,
नीम हमारी मौसी है,
नीम हमारी माता है।
- सुरेश मिश्र
( वरिष्ठ कवि व मंच संचालक )
मुम्बई....