गज़ल : मोहब्बत
गज़ल : मोहब्बत **************
क्या करूँ तुमसे मोहब्बत है तो है।
ढूंढती तुमको नज़र अब है तो है।
पाक है तुमसे मोहब्बत क्या करें,
सँग तेरे जीने की चाहत है तो है।
आग का दरिया मोहब्बत है तो क्या,
सँग तेरे पार करना है तो है।
अज़ाब है तेज़ाब सा चारों तरफ अब,
ठान ली जलना मुझे अब है तो है।
आ गई दीवार कोई बीच में तो,
टूटना उनका जरूरी है तो है।
ख़ौफ़ खा करनी मोहब्बत जंग सी है,
लड़ के पाने की मुझे ज़िद्द है तो है।
*रचनाकार : रजनी श्री बेदी
( जयपुर-राजस्थान )