मणिपुर कांड की टीस : सड़क से संसद तक अब हुआ बवाल !
मणिपुर कांड की टीस : सड़क से संसद तक अब हुआ बवाल !
* जितेन्द्र बच्चन
मणिपुर में पिछले 83 दिनों से हिंसा जारी है, लेकिन बुधवार को जो वीडियो सामने आया, उससे पूरा देश दहल गया। दरिन्दगी की पराकाष्ठा। जालिमों ने कुकी समुदाय की दो महिलाओं पर जी भरकर अत्याचार किया। रूह कांप गई, खून खौल उठा। गुस्सा तब और बढ़ जाता है जब यह पता चला कि घटना करीब 70 दिन पहले की है और सरकार अब तक खामोश रही। बुधवार को मामला उजागर हुआ तो मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री दोनों ने बयान देने शुरू कर दिए। पीएम कहते हैं मन क्रोध से भर उठा है और सीएम कहते हैं कि दोषियों को फांसी होनी चाहिए। पुलिस भी दो दिन में सक्रिय हो गई। वही पुलिस जिसे कहा जाता है कि खुद ही उसने पीड़ित महिलाओं को दरिन्दों के हाथों पड़ने दिया था, अब आरोपियों को पकड़ने में लगी है। जो कार्य वह करीब ढाई महीने में नहीं कर सकी, दो दिन में कर दिखाया।
मामले को लेकर अब सियासत भी गरमा गई है। सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। सांसद, विधायक और मंत्री तक बड़ी निर्लज्जता के साथ इस बात की दलील दे रहे हैं कि कांग्रेस शासित राज्यों में भी महिलाओं के साथ दुष्कर्म और यौन शोषण की घटनाएं हुई हैं। वहां के बारे में कांग्रेस या अन्य दलों ने क्यों चुप्पी साध रखी है? लानत है ऐसी सोच पर! अपनी गलती मानने के बजाय बर्बर अत्याचार का विरोध करने वालों का मुंह बंद कराने के लिए यह कहा जा रहा है कि गैर भाजपा शासित राज्यों में भी महिलाओं का शोषण होता है। कितना घटिया बयान है। नीचता की हद कर दी कुछ नेताओं ने। अपराध, अपराध है। किसी भी राज्य में हो, हरहाल में उसकी निंदा होनी चाहिए।
इसका असर अब समाज पर भी पड़ने लगा है। लोग किसी घटना की तह में नहीं जाना चाहते। एक झूठी खबर की हकीकत जाने बिना ही वह खून-कत्ल करने और बदला लेने के लिए उबल पड़ते हैं। ऐसी ही भीड़ की शिकार हुई हैं मणिपुर की दोनों महिलाएं। घटना इसी वर्ष 4 मई की बताई जा रही है। पहले गांव पर धावा बोलकर एक ही परिवार के दो पुरुषों को कत्ल कर दिया गया। इसके बाद उसी परिवार की दो औरतों पर बेइंतिहा जुल्म ढाया गया। उन्हें निर्वस्त्र कर उनका जुलूस निकाला। उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया। तब भी मन नहीं भरा तो भीड़ के बीच से निकलकर कुछ लोग महिलाओं के जिस्म को सरेआम नोचते रहे। निरीह और निर्दोषों पर कहर ढाया गया। उफ! क्या बीती होगी उन अबलाओं पर, सोचकर ही रोगटे खड़े हो जाते हैं। सरकार की नाकामी का यह बड़ा उदाहरण है। वीडियो सामने आते ही आधी आबादी का खून खौल उठा। महिलाएं दोषियों को फांसी देने की मांग कर रही हैं। शुक्रवार को आक्रोशित महिलाओं के एक झुंड ने मुख्य आरोपी का घर आग के हवाले कर दिया। पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहा है। कोई मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का इस्तीफा मांग रहा है तो कोई प्रधानमंत्री को कोस रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने भी संज्ञान लिया है। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने केंद्र और राज्य सरकार को सख्त कार्रवाई का निर्देश देते हुए कहा है कि सरकार कार्रवाई करे, नहीं तो हम खुद इस मामले में हस्तक्षेप करेंगे।
मानवाधिकार आयोग ने भी अधिकारियों को तलब किया है। सड़क से संसद तक बवाल मचा है। इस बीच पुलिस ने मुख्य आरोपी हुईरेम हेरोदास मैतेई को थॉउबल जिले से गिरफ्तार करने का दावा किया है। तीन अन्य भी पकड़े गए हैं लेकिन यह धर-पकड़ उस समय क्यों नहीं हुई जब यह घटना हुई थी? इससे भी बड़ा सवाल यह है कि सरकार को क्यों नहीं पता चला? पता था तो कार्रवाई क्यों नहीं की गई? क्या पुलिस ने इस घटना को जान-बूझकर छिपाया? क्या किसी राजनीतिक फायदे के लिए इस वीडियो का उपयोग किया जाना था? कहीं इस सब के पीछे कोई सियासी साजिश तो नहीं थी? कौन है इसका सूत्रधार? सवाल और भी हैं, सच हरहाल में सामने आना चाहिए।
(लेखक देश के जाने माने वरिष्ठ पत्रकार हैं।)