कहानी : और बदल गई दुनिया !
कहानी : और बदल गई दुनिया ! *************************
" कशिश ,देखो तुम्हारे भैया नहीं मानेंगे हमारे रिश्ते के लिए" अंकित ने उदास होकर कहा था कशिश से ।
कशिश अंकित की बहन की ननद थी, इस वजह से अंकित का कशिश के घर पर आना जाना लगा रहता था ।
वह दोनों एक दूसरे को बहुत पसंद करते थे , पर घर पर किसी को बताया नहीं था। उन्हें डर था कि कहीं उनके घर वाले उन दोनों की शादी के लिए मना ना कर दें।
अंकित ने कशिश को पहली बार अपनी बहन के रोके में देखा था । धीरे-धीरे उन दोनों में दोस्ती शुरू हुई और फिर नजदीकियां बढ़ने लगीं। आए दिन वह लोग चोरी छुपे मिलने लगे थे।
फिर कशिश को लगने लगा कि घर में शादी की बात करनी चाहिए , इसलिए उसने अंकित के सामने अपनी बात रख दी थी ।
पर अंकित अपने और कशिश के घर वालों के लिए परेशान था कि कहीं सब कुछ जानने के बाद दोनों के घर वाले शादी के लिए मना ना कर दें।
एक शाम अंकित घर आया तो उसके पापा सोफे पर बैठे चाय पी रहे थे। अंकित ने कहा " पापा आज तो आप ऑफिस से बहुत जल्दी आ गए ?"
" हां , जल्दी आ गया, आज ऑफिस में काम कम था इसलिए जल्दी आ गया। तुझे कोई प्रॉब्लम है क्या मेरे जल्दी घर आने से ?" पापा हंसते हुए अंकित से बोले थे।
" अरे नहीं-नहीं , पापा मैंने तो बस यूं ही पूछ लिया था " अंकित ने हंसकर बोला था।
" अरे बेटा तूने बताया नहीं तू आ गया ,तेरे लिए भी चाय ले आऊं क्या ?अंकित की मम्मी ड्राइंग रूम में आकर पूछने लगी ।
" नहीं मां मुझे आप दोनों से कुछ जरूरी बात करनी है "अंकित ने अपनी मां से कहा था ।
" हां ,हां बता ना क्या बात करनी है ....
" मां " दीदी की ननद है कशिश उसे मैं बहुत पसंद करता हूं , और अब हम लोग शादी करना चाहते हैं !
" अरे तुम्हारे दिमाग तो ठीक है बेटा ? उस घर में तेरी बहन का ससुराल है और तुझे पता है ना कि वह लोग आए दिन उसे कितना प्रताड़ित करते रहते हैं, परेशान करते रहते हैं ? अंकित की मां ने बेटे को समझाते हुए कहा था ।
" हां मां मुझे पता है कि वह लोग बहुत बुरे हैं , पर कशिश वैसी बिल्कुल नहीं है ,वह तो हमेशा दीदी का पक्ष लेती है। मैंने देखा है" अंकित ने अपनी मां से कहा था !
और फिर काफी देर तक मनाने के बाद अंकित के माता ,पिता मान गए और फिर एक दिन अंकित का रिश्ता लेकर बेटी की ससुराल पहुंच गए ।
पर वहां पर कशिश के माता-पिता भी शादी के लिए राजी नहीं थे। पर किसी तरह सबको मनाया गया और उन दोनों की शादी करवा दी गई ।
कशिश दुल्हन बनकर अपने ससुराल आ गई वह भी अपने नए परिवार में नए घर में आकर बहुत ज्यादा खुश थी , और वह अंदर ही अंदर मन में सोचती रहती थी इनकी बेटी के साथ हमारे घर में कैसा व्यवहार होता है पर यह लोग तो बहुत ही अच्छे हैं ,
और अब वो अपने घर वालों को भी समझाने लगी थी ।
अपनी बेटी कशिश की बातों और उसकी सलाह का असर पड़ा और फिर अंकित की बहन की प्रताड़ना का दौर भी समाप्त हो गया। कशिश जब अंकित के घर खुश और सुखी जीवन बिताने लगी तब कशिश के घरवालों को भी अहसास हुआ कि वे अपनी बहू को प्रताड़ित कर कितनी बड़ी भूल कर रहे थे, अगर अंकित के घरवाले कशिश के साथ भी यही करते तब ?
अब सबकी दुनिया सचमुच बदल गई थी, सबके पास थीं तो बस खुशियां ही खुशियां।
* लेखिका : कविता सिंह
( गौतम बुद्ध नगर, नोएडा )