होली पर एक विशेष प्रासंगिक कविता : "होली आई ..."
होली पर एक विशेष प्रासंगिक कविता : "होली आई ..."
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रंग बिरंगी होली आई,
खुशियां लेकर अपने साथ ।
प्रेम के रंग में मन को रंग लो ,
रहेगा जीवन भर यह साथ |
गालों पर है रंग गुलाबी और आंखों में श्याम समाये,
याद दिलाए पिया का पीला होली आई पिया न आये ।
बिछड़ गई है सखी सहेली,
होली खेलूं किसके साथ।
प्रेम के रंग में मन को रंग लो
रहेगा जीवन भर यह साथ।
हरे रंग से हरी है धरती , नीला नीला गगन हुआ है,
रंग गुलाल लेकर पिचकारी हर एक बच्चा मगन हुआ है ।
नाच रहे हैं गली गली में
पकड़ के एक दूजे का हाथ ।
प्रेम के रंग में मन को रंग लो रहेगा जीवन भर यह साथ।
नीला पीला लाल गुलाबी
सब एक दिन धुल जाएगा,
पिया बुलावा जब आएगा साथ कोई ना जाएगा ,
वहां अकेला जाना है बस,
यही तलक है सबका साथ।
प्रेम के रंग में मन को रंग लो रहेगा जीवन भर यह साथ ।
* रचनाकार : रवि यादव
( मुंबई )