कविता : हे अंबे शक्ति हमें देना इतना

कविता : हे अंबे शक्ति हमें देना इतना

कविता : हे अंबे शक्ति हमें देना इतना
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 हे अंबे शक्ति हमें देना इतना,
कि भक्त का शीश झुकने न पाये।
लाख मुश्किल भरा जीवन पथ हो,
मन का विश्वास डिगने न पाये।।

हे अंबे शक्ति हमें देना इतना ..............।

काया पर मुझको अभिमान हो ना,
माया से दूर अंबे तूं रखना।
कंठ में वास तेरा सदा हो,
दिल किसी का न रसना दुखाये।।

हे अंबे  शक्ति हमें देना इतना ........।

मन वचन कर्म शुचि हो हमारे,
प्रीति चरणों में तेरे सदा हो।
लोभ मद मोह ईर्ष्या कभी भी,
मां कृपा कर नहीं पास आये।।
हे अंबे शक्ति हमें देना इतना.......।

जिंदगी पल दो पल की मेंहमा,
काम जग किसी के आ जाये।
मान लूंगा सुवारथ जन्म है,
मां तुम्हारी कृपा जो हो जाये।।

हे अंबे शक्ति हमें देना इतना.........।

मान मर्यादा यश आयु सब कुछ, वैभव सुख कीर्ति सुता सुत दिया है।
तेरे चरणों में सब कुछ है अर्पण,
शीश पर हाथ रखना बनाये।।

हे अंबे शक्ति हमें देना इतना .....…।

सांस टूटे मेरी जब कभी भी,
मेरे आंखों में मूरति हो तेरी।
तेरी ममता का आंचल हे अंबे ,
"अनुज"के सिर से हटने न पाये।।

हे अंबे शक्ति हमें देना इतना ,
कि भक्त का शीश झुकने न पाये।
लाख मुश्किल भरा जीवन पथ हो,
मन का विश्वास डिगने न पाये।।

* कवि : शास्त्री सुरेन्द्र दुबे अनुज जौनपुरी