74427 करोड़ के बजट वाली मनपा दूषित पानी के कारण फैल रहे जीबीएस के शिकार मरीजों के इलाज का खर्च दे - गोपाल शेट्टी
74427 करोड़ के बजट वाली मनपा दूषित पानी के कारण फैल रहे जीबीएस के शिकार मरीजों के इलाज का खर्च दे - गोपाल शेट्टी
- सीएम देवेंद्र फड़णवीस और सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्री को जनसेवक गोपाल शेट्टी ने लिखा पत्र
* अमित मिश्रा
बोरीवली : पुणे के बाद मुंबई की ओर रुख कर नागरिकों को अपना शिकार बनाना शुरू कर चुके गुईलेन-बरे सिंड्रोम ( जीबीएस ) की मुम्बई में भी शुरुवात होने से आहत होकर उत्तर मुंबई के पूर्व सांसद गोपाल शेट्टी ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्री प्रकाशराव आबिटकर को पत्र लिखकर जीबीएस के शिकार मरीजों की चिकित्सा के लिए तत्काल योग्य कदम उठाने और इसके इलाज की प्रक्रिया में महानगरपालिका को भी शामिल करवाने का निवेदन भेजा है।
जनसेवक शेट्टी ने पत्र में लिखा है कि पुणे के बाद मुंबई में भी जीबीएस की इन्ट्री चिंताजनक है। इसके शिकार रोगी मुम्बई में इलाज करवा रहे हैं और अन्य नागरिक भी इसके खौफ में हैं। यह रोग संपूर्ण मुंबई और महाराष्ट्र में ना फैले इसके लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है। इस न्यूरोलॉजिकल बीमारी के खिलाफ प्रतिबंधात्मक उपाय करना आवश्यक हो गया है।
इसके नियंत्रण और इसके शिकार लोगों की चिकित्सा के लिए जनता के हित में जनसेवक गोपाल शेट्टी ने पत्र में कुछ ठोस सुझाव प्रस्तुत किए हैं। उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता निधि व अन्य आरोग्य निधियों से जीबीएस से पीड़ित नागरिकों की चिकित्सा हेतु विशेष सहायता तत्काल उपलब्ध कराने की दिशा में कदम उठाना आवश्यक हो गया है। राज्य के सभी जिला अस्पतालों, उप-जिला अस्पतालों तथा वैद्यकीय महाविद्यालयों में 'इम्यूनोग्लोब्युलीन इंजेक्शन' मुक्त में उपलब्ध कराया जाए। जीबीएस के खिलाफ जंग में विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम संपूर्ण राज्य में नियुक्त करते हुए इसकी मुफ्त जांच के लिए शिविर शुरू करने की आवश्यकता लग रही है ताकि इसके रोगी चिन्हित किया जा सकें और उन्हें समय पर इलाज मिल सके। इसके अलावा अखबारों व चैनलों के माध्यम से जन जागृति फैलाना आवश्यक हो चला है, लोगों को इनके माध्यम से जागरूक किया जाना चाहिए। इसके शुरुआती लक्षणों को देखते ही इसकी चिकित्सा और रोकथाम के लिए योग्य प्रयास सुनिश्चित हो जाए तो जीबीएस पर आसानी से काबू पाया जा सकता है।
जनसेवक गोपाल शेट्टी ने अंत में लिखा है कि 74,427 करोड़ का हाल ही में महानगरपालिका का बजट 2025-26 प्रस्तुत हुआ है इतने बड़े बजट में जीबीएस से पीड़ित नागरिकों की चिकित्सा का भी प्रावधान होना चाहिए । लैब में हुई जांचों से स्पष्ट है कि यह बीमारी दूषित जल के कारण ही फैलती है और लोग शिकार बनते हैं ऐसे में मुम्बई में पानी की आपूर्ति करने वाली महानगरपालिका को ही इसकी चिकित्सा का सारा खर्च वहन करना चाहिए। जीबीएस से पीड़ित नागरिक भले ही किसी प्राइवेट अस्पताल में इलाज करवा रहा हो , उसके इलाज का सारा खर्च महानगरपालिका को करना आवश्यक है ऐसा मेरा स्पष्ट मत है।