हार्ट अटैक से हो रही मौतों के बढ़ते आंकड़ों से दुःखी हैं गोपाल शेट्टी, स्वास्थ्य मंत्री सहित अन्य को लिखा पत्र

हार्ट अटैक से हो रही मौतों के बढ़ते आंकड़ों से दुःखी हैं गोपाल शेट्टी, स्वास्थ्य मंत्री सहित अन्य को लिखा पत्र...
* अमित मिश्रा
बोरीवली : उत्तर मुम्बई के पूर्व सांसद गोपाल शेट्टी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी नड्डा समेत डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर जनरल , महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़वणीस, उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिन्दे , उप मुख्यमंत्री अजित दादा पवार तथा राज्य के स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत को पत्र लिखकर हृदयाघात से होने वाली मौतों की बढ़ती संख्या पर चिंता जाहिर करते हुए सबका ध्यानाकर्षित किया है। उन्होंने एक बड़े अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित खबर का हवाला देते हुए पत्र में लिखा है कि वर्ष 2022 में मुंबई में हुई मौतों में से 25% मौतें हृदय संबंधी बीमारियों के कारण हुईं। यह चौंकाने वाला आंकड़ा , इस गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या को हल करने के लिए तत्काल और व्यापक उपायों की आवश्यकता को दर्शाता है।
जनसेवक गोपाल शेट्टी ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि बीएमसी के जन्म और मृत्यु पंजीकरण रिकॉर्ड के अनुसार, 2022 में मुंबई में 94,500 मौतों में से एक बड़े अनुपात में मौतें , हृदय रोगों और उच्च रक्तचाप के कारण हुईं हैं। इसमें यह तथ्य कि देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई में हर चौथी मौत हृदय संबंधी बीमारियों से संबंधित है, यह स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है।
शेट्टी के अनुसार विश्व हृदय संगठन हृदय रोगों को विश्व स्तर पर मृत्यु का प्रमुख कारण मानता है, जो प्रति वर्ष 17.1 मिलियन जानें लेता है। कैंसर, एचआईवी/एड्स और मलेरिया से होने वाली मौतों की संख्या से हृदयाघात से हुई मौतों की संख्या अधिक है। चौंकाने वाली बात यह है कि इन मौतों में से 40%, 45 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों की होती नजर आई हैं। युवा बड़ी संख्या में इस बीमारी के शिकार हो रहे हैं जिसे पहले बुजुर्गों की बीमारी माना जाता था।
चलने, व्यायाम करने या आराम करने के दौरान अचानक हृदयाघात के मामले में पूरे देश में युवाओं सहित अन्य नागरिकों की मौतों के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं, जिसने जनता में व्यापक चिंता भी पैदा की है।
पत्र में शेट्टी ने आगे लिखा है कि इस समस्या की गंभीरता को देखते हुए, मैं स्वास्थ्य मंत्रालय से निम्नलिखित सिफारिशों पर विचार करने का अनुरोध करता हूं:
1. अनिवार्य रूप से सबके हृदय के स्वास्थ्य की जांच हो : 40 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए प्रति छह महीने में अनिवार्य रूप से हृदय स्वास्थ्य की जांच शुरू की जाए, जिसमें उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल के स्तर और बुनियादी ईसीजी के परीक्षण शामिल हों। जो नागरिक ऐसे परीक्षणों का खर्च वहन नहीं कर सकते, सरकार को राज्य सरकारों के सहयोग से इन सेवाओं को नि:शुल्क प्रदान करने के लिए योजनाएं स्थापित करनी चाहिए।
2. जन जागरूकता अभियान: हृदय रोग के शुरुआती लक्षणों और समय पर चिकित्सा सहायता के महत्व के बारे में व्यापक जागरूकता अभियान शुरू करें, खासकर "गोल्डन ऑवर" के दौरान। देश के हर कोने तक पहुँचने के लिए मास मीडिया प्लेटफ़ॉर्म और सोशल मीडिया का उपयोग करें।
3. बुनियादी ढाँचा विकास: उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसे गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) का शीघ्र पता लगाने, नियमित निगरानी और उपचार की सुविधा के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों में बुनियादी ढाँचे को बढ़ाएँ।
4. सीपीआर का प्रशिक्षण : नागरिकों को आपात स्थितियों में प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया करने में सक्षम बनाने के लिए स्कूलों, कॉलेजों, कार्यस्थलों और स्थानीय समुदायों को शामिल करने के लिए राष्ट्रव्यापी सीपीआर जागरूकता और प्रशिक्षण पहल का विस्तार करें।
5. मुंबई पर रहे विशेष ध्यान : मुंबई के चौंका देने वाले आँकड़ों को देखते हुए, उपरोक्त उपायों को लागू करने के लिए शहर में एक पायलट परियोजना शुरू की जा सकती है, जिसे बाद में पूरे देश में दोहराया जा सकता है।
पत्र के अंत में जनसेवक गोपाल शेट्टी ने लिखा है कि मैं आपके मंत्रालय से अनुरोध करता हूँ कि इस मामले का संज्ञान में लें और ऐसी नीतियों को लागू करें जो लोगों के जीवन की रक्षा करेंगी और हृदय के स्वास्थ्य को बढ़ावा देंगी। मुझे विश्वास है कि आपके गतिशील नेतृत्व में इन सुझावों पर उचित विचार किया जाएगा और जनहित में समय रहते कदम उठाए जाएंगे।