कविता : शुक्रिया
कविता : शुक्रिया
*****************
मेरे चेहरे की रौनकों को बढ़ाने वाले,
मेरे बिखरे हुए जीवन को बसाने वाले ।
दूं क्या तोहफा तुझे तू पहले से मुकम्मल है,
रखना दिल में मुझे ओ लाज बचाने वाले।
मेरी गुस्ताखियों को माफ सदा कर देना,
जीत कर दिल मेरा एक पल में हराने वाले।
मैं क्या जवाब दूँ बनी हुँ क्यों मैं पत्थर सी,
करते इस हाल पे सवाल ज़माने वाले।
तेरी खामोशियों में फिक्र मेरा दिखता है,
कभी हँस ले मेरे सँग मुझको हँसाने वाले।
कभी मुस्कान भी मरहम का काम करती है,
किस्से 'रजनी' ने सुने जख्म भराने वाले।
* कवयित्री : रजनी श्री बेदी
(जयपुर-राजस्थान)