कविता : सच की राह पर चलकर देख
कविता : सच की राह पर चलकर देख
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पाना अगर सुकून तुझको है..सच की राह पे चलकर देख,
सुख का परम आनंद पाने को..थोड़ा दुख में पलकर देख।
शीत हवा का सुख क्या होता...अगर तुझे मालूम नहीं,
भरी दोपहरी मुफलिस जैसे.. बिना छांव के जलकर देख।
हर रिश्ते का स्वार्थ है अपना.. हर रिश्ते का अर्थ अलग,
यही समझने हेतु खुद भी..हर रिश्ते मे ढ़लकर देख ।
प्रेम से कोसों दूर अगर दिल..प्रेम न तुझको रास आए,
तब कान्हा संग प्रीत लगाकर..उसके रंग में रंग कर देख।
कुंदन जैसा रूप चमकता.. हर प्राणी की चाहत है,
पर इसको पाने की खातिर.. 'रजनी' पहले तपकर देख।
* कवयित्री : रजनी श्री बेदी
( जयपुर - राजस्थान )