नव-वर्ष पर अमिता 'अशेष' की कलम से हमारे पाठकों के लिए विशेष.... कविता : स्वागत है हे 'नव-वर्ष'
नव-वर्ष पर अमिता 'अशेष' की कलम से हमारे पाठकों के लिए विशेष....
कविता : स्वागत है हे 'नव-वर्ष'
***********************
नया वर्ष है नया विहान ,
सुन्दर पथ अभिनव अभियान ।
स्वर्ण रश्मियाँ जगमग धरती,
अन्तर्मन में आशा भरती।
प्रकृति मनोरम अविरल नदियाँ ,
कल कल पल पल बहती सदियाँ।
नीरद के नटखट मृगछौने,
इनके आगे हम हैं बौने ।
जल दर्पण में रूप निहारे,
ऊषा के आकाश सुनहरे ।
हिमगिर के श्वेताभ शिखर पर ,
किरण खेलतीं निखर निखर कर।
तटस्थ तरु के चंचल पल्लव ,
चिड़ियों का मीठा सा कलरव।
शीतल सुरभित समीर बह रही,
प्राणों में भर प्राण कह रही।
जीवन जग में स्पंदित कर,
भाव हृदय में जो रहा है भर।
वो कौन कहाँ है किसको मालुम,
किस दुनियाँ में रहता है गुम।
फिर भी है कोई कहते हैं सब,
जिसके बिन हम रहते हैं कब।
कण कण में बस केवल वो है ,
क्षण क्षण में बस केवल वो है ।
गीत वही है प्रीत वही है ,
शाश्वत जग की रीत वही है ।
नव जीवन नव उत्साह प्रसारित,
पावनतम मन मन्त्रोच्चारित,
नये वर्ष की नव किरणों संग,
रहे बिखरते आशा के रंग।।
* ✍️ अमिता 'अशेष'
( लखनऊ )