कजरी : उहै हिन्दुस्तानी सखी ना 

कजरी : उहै हिन्दुस्तानी सखी ना 

  कजरी : उहै हिन्दुस्तानी सखी ना 

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हमरे देशवा क नांव जू बखानी सखी।
उहै हिन्दुस्तानी सखी ना।।

ग्रीष्म शीत बसिकाला,तिनहूं ऋतु मतवाला।
ऋतु बसंत में करे जू किसानी सखी।
उहै हिन्दुस्तानी सखी ना।।

पर्यावरण के बचाव,दुईगो पेड़ सब लगाव।
जीव-जन्तु से करी ना नदानी सखी।
उहै हिन्दुस्तानी सखी ना।।

बूंद-बूंद भरी जाई,नीर-नीर जे बचाई।
गंगा-जमुना क राखी जे पानी सखी।
उहै हिन्दुस्तानी सखी ना।।

करे देश क उद्धार,हउवै उहै पहरेदार।
चमके देशवा लगावे बुद्धिमानी सखी।
उहै हिन्दुस्तानी सखी ना।।

सजी रहे फुलवारी,इ हौ सबक जिम्मेदारी।
बोली सबही से जे मृदु बानी सखी।
उहै हिन्दुस्तानी सखी ना।।

राम-कृष्ण क ई माटी,काशी शिवजी क थाती।
बद्री कैलाश हनुमत के मानी सखी।
उहै हिन्दुस्तानी सखी ना।।

घरे दीप के बुलावा,अंधियारा जग हटावा।
गीत कजरी क जे हौ दिवानी सखी।
उहै हिन्दुस्तानी सखी ना।।

* कवि : विनय शर्मा  'दीप'
                 ( मुंबई )