वागीश सारस्वत की लेखनी से हिंदी दिवस पर विशेष कविता - "जय-जय हिंदी"
वागीश सारस्वत की लेखनी से हिंदी दिवस पर विशेष कविता ....
जय-जय हिंदी
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भारतेंदु लाये थे हिंदी दुल्हनिया की डोली
भारत के बच्चे बच्चे ने बोली हिंदी बोली
बुंदेली,बघेलखंडी,ब्रज, अवधी बड़ी रसीली
उर्दू,मेवाड़ी,कुमाऊंनी, गढ़वाली रँगीली
भोजपुरी, मैथिली, मगध की बोली बड़ी सजीली
सब की सब सखियां बहनें हैं, हिंदी की अलबेली
भारत के आंगन में खेल रही हैं सखी-सहेली
सतरंगी छवियां लेकर हिंदी करती अठखेली
देववाणी संस्कृत की बेटी, मां की भाषा हिंदी
रहिमन के दोहों की और कबीर की भाषा हिंदी
हिंदी में हैं सूर सूर्य , तुलसी मानस का मन है
कृष्ण प्रेम में डूबी मीरा, घन आनंद मगन है
दिनकर,पंत,निराला,जयशंकर प्रसाद ,धूमिल हैं
साहिर, इंदीवर, प्रदीप, अंजान और कामिल हैं
एक युवा स्वामी अमरीका में जब हिंदी बोला
भाषा को पहचान मिली भड़का हिंदी का शोला
घर-घर हिंदी हर-हर हिंदी हिन्द भूमि है हिंदी
माथे पर है सजी चकित चितवन चंचल सी बिंदी
राष्ट्र कह रहा राष्ट्रवादियों! अब तो भृकुटि तानो
हिंदी ही है हिन्द राष्ट्र की भाषा यह पहचानो
देखो जगत गुरु भारत हिंदी में बोल रहा है
देश दासता की केंचुल अंग्रेजी छोड़ रहा है
राष्ट्रमान की स्वाभिमान की भाषा बोल रहा है
प्रांतवाद की भाषाई गांठों को खोल रहा है
संविधान संशोधन लाओ दुनिया को बतलाओ
हिंदी हिन्द राष्ट्र की भाषा हिंदी को अपनाओ
हिंदी भाषा मेरे देश की भाषाओं रानी
हिंदी की जय, जय-जय हिंदी , हिंदी हिन्दुस्तानी।।
* कवि - वागीश सारस्वत
( मुंबई )