कविता : कसक  

कविता : कसक  

 कविता : कसक...          ***************

तेरी आँखों मे डूबे प्यार को कुछ नाम दे दूँ मैं।
धड़कने  दूँ मैं इस दिल को या फिर विश्राम दे दूँ मैं।

तेरी खामोशियों को पढ़ के अब तक इतना जाना है,
रहे जो याद जीवन भर इक ऐसी शाम दे दूँ मैं।

करेगा दिल मेरा कब तक अकेला तेरी ही बातें,
अगर महफिल में आना हो  तो फिर इल्ज़ाम दे दूँ मैं।

अगर नज़रें मेरी करती हैं तुमको दीवाना मेरा,
न आए होश में फिर तू क्या ऐसा जाम दे दूँ मैं।

मोहब्बत तुझको मुझसे है बता दे मुस्कुरा के तू,
डूब के इसमें फिर तुझको  हसीं अंजाम दे दूँ मैं।

रहे तू कैद आँखों में मेरी बस इतनी हसरत है,
कहे तो सारी दुनिया को ये खुश पैग़ाम दे दूँ मैं।

*कवयित्री : रजनी श्री बेदी
     ( जयपुर-राजस्थान )