मार्मिक कजरी : अबकी मणिपुर मा करतब देखाइ गइल, करिखा पोताइ गइल न !

मार्मिक कजरी : अबकी मणिपुर मा करतब देखाइ गइल, करिखा पोताइ गइल न !

मार्मिक कजरी : अबकी मणिपुर मा करतब देखाइ गइल, करिखा पोताइ गइल न !
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अबकी मणिपुर मा करतब देखाइ गइल,
करिखा पोताइ गइल न।

बहिनी रोवइं फिर से दइया,
कहिया अइब्या हो कन्हइया,
चीर द्रोपदी क फिनि से खिंचाइ गइल
करिखा पोताइ गइल न।

"बिटिया पढ़ावा, बढ़ावा",
पहिले बिटिया के बचावा,
सगरे देशवा क मुड़वा झुकाइ गइल
करिखा पोताइ गइल न।

जरत बाटइ कब से प्रांत,
लूट मार,हिंसा,क्लांत,
चुप्पी साधे हउए मनसा बुझाइ गइल
करिखा पोताइ गइल न।

बिटिया हेरत रहलीं नीड़,
ओनके नोचत रहलीं भीड़,
केउ बचउलेसि नाहीं,वीडियो बनाइ गइल
करिखा पोताइ गइल न।

रोइन धरती-भारत माता,
रोवइ लागेन हो विधाता,
क्रूरता भी देखि-देखि के लजाइ गइल
करिखा पोताइ गइल न।

कइसे लिखी हम कजरिया,
गुस्से मा रहल बदरिया,
दिल्ली चुप रहल त दिल्ली कऽ डुबाइ गइल।
करिखा पोताइ गइल न।

सिसकइं सीता-अनुसुइया,
फिर से रोवइं देवकी मइया,
कंस भी न अइसन,क्रूरता देखाइ गइल।
करिखा पोताइ गइल न।

सुना नमो,सुना शाह,
कब ले देश भरे आह,
अब ले बुलडोजर काहें न पठाइ गइल
करिखा पोताइ गइल न।

चैनल वाले पत्रकार,
सोसल मीडिया अखबार,
तोहइं सीमा -ज्योती मौर्या देखाइ गइल
करिखा पोताइ गइल न।

* कवि : सुरेश मिश्र ( कवि एवम् मंच संचालक )  मुंबई ....