कविता : सही नववर्ष आया है

कविता : सही नववर्ष आया है

   कविता : सही नववर्ष आया है ...

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चढ़ाओ फूल अरु चंदन, 
सही नववर्ष आया है।
मिटाओ दिल से हर अनबन,
सही नववर्ष आया है।

न मन तरसे, हिया हरषे,
न कोई काम हो डर से।
ये भारत वर्ष है बाबू -
यहां सुख मेघ ही बरसे।

जलें नवदीप पग-पग पर,
अंधेरा हो न अंतर्मन,
दिशाएं भी करें वंदन,
सही नववर्ष आया है।

लिखो परिणाम तुम अपने,
करो हर काम तुम अपने,
अवध में राम आए हैं,
सजाओ धाम तुम अपने,

सनातन संस्कृति अपनी,
न रूठे ये प्रकृति अपनी,
जलाओ दीप घर-आंगन,
सही नववर्ष आया है।

समय का चक्र है लाला,
सिकंदर बदल जाएंगे,
बवंडर तो वही होंगे,
कलेंडर बदल जाएंगे।

लड़ोगे क्या समुंदर से,
बदलिए आप अंदर से,
करो नवयुग का अभिनंदन,
सही नववर्ष आया है।

नया आभास आया है,
नया उल्लास आया है,
हमारे देश में चौबिस-
नया मधुमास लाया है।

जो जग के काम आए हैं,
सिया के राम आए हैं,
सजाओ भोग अब छप्पन,
सही नववर्ष आया है।

* कवि : सुरेश मिश्र ( मुम्बई )