महानगरपालिका की 1962 की डेटम लाइन को झोपड़पट्टी कानून की संरक्षित संरचना अनुसार 2011 तक करने की पूर्व सांसद गोपाल शेट्टी ने की मांग

महानगरपालिका की 1962 की डेटम लाइन को झोपड़पट्टी कानून की संरक्षित संरचना अनुसार 2011 तक करने की पूर्व सांसद गोपाल शेट्टी ने की मांग
- जनसेवक गोपाल शेट्टी ने मुख्यमंत्री और महानगरपालिका आयुक्त को लिखा पत्र
* अमित मिश्रा
बोरीवली : उत्तर मुंबई के पूर्व सांसद गोपाल शेट्टी ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस तथा महानगरपालिका आयुक्त भूषण गगराणी को पत्र लिखकर महानगरपालिका की १९६२ की 'डेटम लाइन' को बदलकर झोपड़पट्टी कानून की संरक्षित संरचना अनुसार 'डेटम लाइन' २०११ करने की मांग की है।
जनसेवक गोपाल शेट्टी ने पत्र में लिखा है कि मुंबई महानगरपालिका अधिनियम के अनुसार (MMC एक्ट) संरक्षित संरचना के लिए विचार की जाने वाली डेटम लाइन '१९६२' है, जबकि झोपड़पट्टी कानून के अनुसार संरक्षित संरचना के लिए डेटम लाइन '२०११' है, इन दोनों डेटम लाइनों में विरोधाभास है, जो बात स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि कानून में असमान व्यवहार किया जा रहा है। इसके कारण भारतीय राज्य घटना के अनुच्छेद १४ के अनुसार दिए गए मूलभूत अधिकार (किसी भी भेदभाव के बिना सभी नागरिकों को कानून के समक्ष समान व्यवहार और संरक्षण प्रदान किया जाएगा) का सीधे उल्लंघन होता है।
जनसेवक गोपाल शेट्टी ने पत्र में आगे जिक्र किया है कि सरकार ने १.१.२०११ तक के झोपड़ी धारकों के लिए पुनर्वसन निश्चित करने के बारे में नीति बनाई और उन्हें मकान मिलने की समय सीमा तय की, जिसके लिए सरकार की प्रशंसा की जानी चाहिए। लेकिन जब तक पुनर्वसन नहीं होता, तब तक निजी झोपड़ीधारकों को परेशान करने और वसूली के लिए कुछ शिकायतकर्ताओं द्वारा झूठी शिकायतें की जाती हैं। ऐसे मामलों में महानगरपालिका द्वारा नागरिकों को नोटिस भेज दे जाती है और उनसे १९६२ का प्रमाण मांगा जाता है। यदि वे यह प्रमाण प्रस्तुत करने में विफल रहते हैं, तो उनके घरों पर तोड़क कार्रवाई की नोटिस दे दी जाती है। परिणामस्वरूप, ऐसे नागरिकों (निजी जमीन धारक या निजी झोपड़ी भू धारक) को न्यायालय की शरण लेनी पड़ती है और इसके लिए उन्हें बड़े पैमाने पर मानसिक संत्रास झेलने के साथ-साथ आर्थिक खर्च भी वहन करना पड़ता है।
जनसेवक गोपाल शेट्टी ने पत्र के अंत में लिखा है कि उपरोक्त कठिनाइयों को देखते हुए जनहित में मेरी आपसे विनम्र अपील है कि आगामी महानगरपालिका चुनाव से पहले एमएमसी एक्ट के तहत वर्तमान में अस्तित्व में existing 1962 की 'डेटम लाइन' को बदलकर झोपड़पट्टी कानून के अनुसार 01.01.2011 तक बढ़ाया जाए ताकि मुंबई के लाखों नागरिकों को एक बड़ा सुकून मिले और उनकी समस्याएं दूर होने में मदद मिले।