भगवान परशुराम जन्मोत्सव पर विशेष कविता "जय हो परशुराम की जय"

भगवान परशुराम जन्मोत्सव पर विशेष कविता "जय हो परशुराम की जय"

भगवान परशुराम जन्मोत्सव पर विशेष कविता "जय हो परशुराम की जय"

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जो भी उनका नाम जपे,
 हिय से छंठ जाए भय,
 बोलो परशुराम की जय, 
जय हो परशुराम की जय।

 भृगुवंसी जमदग्नि-रेणुका,
 के सुत बनकर आए ,
क्षत्रिय कुल का नहीं,
 फरस से 'हैहय' वंश मिटाए।
 महिदेवन में भूमि बांट 
जीवन कर दिया मलय।
 बोलो परशुराम की जय ,
जय हो परशुराम की जय।

 शस्त्र-शास्त्र के ज्ञाता,
 हैं जिनके अराध्य त्रिपुरारी,
 तू छठवां अवतार विष्णु का,
 शिवप्रिय फरसाधारी,
 चिरंजीव हे विप्रदेव, 
कर अहंकार का क्षय।
 बोलो परशुराम की जय,
 बोलो परशुराम की जय।

 एमपी में जन्मा था,
 बचपन महाराष्ट्र में बीता,
 ध्यान साधना महेंद्र गिरि पर,
 जाकर किया उड़ीसा।
 केरल, कर्नाटक, गोवा को,
 कर दिया मंगलमय।
 बोलो परशुराम की जय,
 जय हो परशुराम की जय।

 द्रोणाचार्य, भीष्म के संग, 
थे कर्ण तुम्हारे चेले ।
जमीनदारी उन्मूलन का,
 खेल प्रथम तुम खेले,
 तेरे फिर वापस आने का,
 आया आज समय ।
बोलो परशुराम की जय,
 जय हो परशुराम की जय।

* रचनाकार : सुरेश मिश्र (कवि एवं मंच संचालक) - मुंबई