विशेष लेख : नव-वर्ष के माध्यम से वास्तव में प्रेरणादायक हो सकता है समाजहित

विशेष लेख : नव-वर्ष के माध्यम से वास्तव में प्रेरणादायक हो सकता है समाजहित

विशेष लेख : नव-वर्ष के माध्यम से वास्तव में प्रेरणादायक हो सकता है समाजहित

    नव वर्ष की शुभकामनाएं देने के बाद फौरन सोशल मीडिया पर विरोध आरंभ होता है। नव वर्ष की शुभकामनाएं की पोस्ट अक्सर सांस्कृतिक या वैचारिक दृष्टिकोण से प्रेरित होती हैं। लोग अपने-अपने विचार और परंपराओं के आधार पर नए वर्ष को स्वीकार या अस्वीकार करते हैं।

यह तर्क अक्सर भारतीय या अन्य सांस्कृतिक कैलेंडरों (जैसे विक्रम संवत, शके संवत या इस्लामिक हिजरी कैलेंडर) के आधार पर दिया जाता है। कुछ लोग मानते हैं कि भारतीय नव वर्ष (जैसे गुड़ी पड़वा, उगाड़ी, बैसाखी आदि) अधिक प्रामाणिक हैं और इन्हें प्रमुखता दी जानी चाहिए। यह एक सांस्कृतिक गर्व और परंपराओं को जीवित रखने का प्रयास हो सकता है।

ग्रेगोरियन कैलेंडर आज दुनियाभर में आधिकारिक तौर पर उपयोग होता है। इसलिए 1 जनवरी का महत्व व्यावहारिक और वैश्विक है। इसे "अंग्रेजी नव वर्ष" कहने का कारण इसका यूरोपीय मूल है, लेकिन यह अब केवल पश्चिमी परंपरा तक सीमित नहीं है।

यह विचार उन लोगों का हो सकता है जो औपनिवेशिक प्रभाव या पश्चिमी संस्कृति के बढ़ते प्रभाव का विरोध करते हैं। वे अपनी सांस्कृतिक पहचान को प्राथमिकता देना चाहते हैं। अपनी परंपराओं और आधुनिकता के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है। आप भारतीय नव वर्ष और 1 जनवरी दोनों को खुशी और सकारात्मकता के साथ मना सकते हैं।

नव वर्ष का दिन सिर्फ कैलेंडर की तारीख नहीं है, बल्कि इसे अच्छे कामों, समाजसेवा और संकल्पों के लिए उपयोग करना चाहिए। 1 जनवरी को नया वर्ष मनाने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए, जब तक यह सामाजिक या नैतिक मूल्यों को ठेस न पहुंचाए।

नया वर्ष एक सकारात्मक शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन शुभकामनाएं देना, संकल्प लेना और समाज के हित में काम करना वास्तव में प्रेरणादायक हो सकता है। लगातार 6 वर्ष से मुंबई के सायन अस्पताल में आयोजित रक्तदान शिविर जैसी गतिविधियां इस दिन को और भी अर्थपूर्ण बनाती हैं।

मेरा यह विचार है कि हर दिन को नए वर्ष की तरह जीना चाहिए। अगर हम हर दिन नए जोश, उत्साह और अच्छे विचारों के साथ जिएं, तो जीवन और बेहतर हो सकता है।

नव वर्ष को मनाना तभी गलत हो सकता है जब इसका उद्देश्य सामाजिक या नैतिक दृष्टि से अनुचित हो। अन्यथा, यह एक ऐसा अवसर है जो लोगों को जोड़ता है, प्रेरित करता है, और एक बेहतर समाज की दिशा में योगदान देता है। नव वर्ष को स्वीकारना या अस्वीकारना व्यक्तिगत चुनाव है। लेकिन यह दिन खुशी, एकता और सकारात्मकता फैलाने का अवसर हो सकता है, चाहे वह किसी भी कैलेंडर का हिस्सा हो।

* अनिल वेदव्यास गलगली
( वरिष्ठ पत्रकार एवं आरटीआई कार्यकर्ता ) मुम्बई