भारत की पुकार....

*** भारत की पुकार.... ***
- डॉ. मंजू मंगलप्रभात लोढ़ा
जो पहलगाम में हुआ नरसंहार, एक आँख में आँसू दूसरी में क्रोध-आक्रोश भरा; कब हम इसका तोड़ जवाब देंगे, कब भारत को फिर से भारत बनाएंगे?
बायसरन घाटी में 28 निर्दोषों का लहू बहा, 20 से अधिक घायल, हर दिल में गहरा घाव रहा। पर्यटकों पर बरसी गोलियों की बौछार, सुनसान हुआ वह स्वर्ग, जहां गूंजती थी हँसी ।
कब तक यह ख़ूनी तांडव चलता रहेगा, कब तक भारतीय बेटा हर दिन बलिदान देगा? कब तक चुप्पी सहते रहेंगे, कब तक हम यूँ ही बिखरे रहेंगे?
कब हमारे खून में उबाल आएगा, कब हम एक स्वर में गर्जन सुनाएंगे? कब हम मुंह तोड़ जवाब देंगे, कब भारत को फिर से भारत बनाएंगे?
कब हर नागरिक निड़रता से मुस्कराएगा? कब हम बेफिक्र होकर चैन की नींद सोएंगे, कब आतंक के साए से मुक्त हो जाएंगे?
मोदी जी, आप हैं तो सब कुछ मुमकिन है, आपके नेतृत्व में भारत अडिग और दृढ़ है। हम एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे, आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकेंगे।
अब समय है न्याय का, सज़ा का, आतंकवादियों को मिले दंड, हो अंत उनके षड्यंत्र का। न्याय की ज्वाला में जलें उनके काले इरादे, भारतवर्ष में फिर न हो आतंक के साए।
हम सब एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ आगे आएं, किसी की बातों में ना आएं, हमारे देश में कोई दंगा-फसाद ना हो, फिर से भारत को भारत बनाएं।
( रचनाकार डॉ. मंजू लोढ़ा मुम्बई की वरिष्ठ समाजसेवी और प्रसिद्ध साहित्यकार हैं )