चिकित्सा एवं शिक्षण संस्थानों के ऋण नियमों में संशोधन हेतु सांसद गोपाल शेट्टी का निवेदन शून्यकाल के आज के संसद कार्य सूची में शामिल 

चिकित्सा एवं शिक्षण संस्थानों के ऋण नियमों में संशोधन हेतु सांसद गोपाल शेट्टी का निवेदन शून्यकाल के आज के संसद कार्य सूची में शामिल 

चिकित्सा एवं शिक्षण संस्थानों के ऋण नियमों में संशोधन हेतु सांसद गोपाल शेट्टी का निवेदन शून्यकाल में आज के संसद कार्य सूची में शामिल 

_शैक्षणिक संस्थान/अस्पताल के निर्माण के लिए बैंक से लिए ऋण को चुकाने की समय सीमा को दस वर्ष के स्थान पर तीस वर्ष किया जाए


* अमित मिश्रा

       नई दिल्ली, २१ मार्च : उत्तर मुंबई के भाजपा सांसद गोपाल शेट्टी हर मुद्दे पर दूरदर्शिता और खास विजन के साथ काम करनेवाले सांसद हैं। चाहे देश की सभी नदियों के विकास से जुड़ा प्रश्न हो, जलमार्ग परिवहन का विकास हो या जेल में बंद निरपराध या जमानत की असुविधा वाले कैदियों का मानवीय पहलू हो, सांसद गोपाल शेट्टी संसद में कभी तारांकित प्रश्न उठाकर अथवा शून्यकाल की कार्य सूचि में विषय रखकर संसद का ध्यानाकर्षित करते रहे हैं।
    आज दिनांक 21 मार्च 2023 को संसद में उनके एक और महत्वपूर्ण विषय से जुड़े कार्य को  शून्य काल की कार्य सूची में शामिल किया गया है। सांसद गोपाल शेट्टी ने स्पष्ट किया है कि आजकल मरीजों का इलाज और शिक्षा बहुत महंगी हो गई है। मध्यमवर्गीय परिवारों के साथ-साथ गरीब लोगों के लिए आज अस्पताल जाना काफी महंगा होता जा रहा है। महंगा इलाज होने के कारण मरीजों व उनके परिजनों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसी प्रकार शिक्षा प्राप्त करना भी महंगा होता जा रहा है। शिक्षा समाज के विकास और आगे चलकर देश के  विकास के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है। इस भूमिका में ऐसी स्थिति पैदा की जानी चाहिए कि शिक्षा और इलाज दोनों सस्ता हो या किफायती अवश्य होना चाहिए।

     सांसद गोपाल शेट्टी ने कहा है कि इन दोनों चीजों की लागत के पीछे एक प्रमुख कारण यह है कि शिक्षण संस्थानों और अस्पतालों के निर्माण के लिए ऋण संबंधित नियम के अनुसार बैंक से ऋण चुकाने के लिए दस वर्ष की अवधि निर्धारित की गई है।  जिसके कारण शिक्षण संस्थानों और अस्पतालों को कर्ज चुकाने के लिए शिक्षा ले रहे छात्रों और इलाज करा रहे मरीजों से खर्च की उम्मीद करनी पड़ रही है । अतः ये दोनों विषय महंगे हो जाते हैं। 
  सांसद गोपाल शेट्टी ने आगे कहा है कि
 शैक्षणिक संस्थान/अस्पताल के निर्माण के लिए बैंक से लिए ऋण को चुकाने की समय सीमा को दस वर्ष के स्थान पर तीस वर्ष कर दिया जाए। दस साल में बड़े कर्ज को चुका पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसलिए पढ़ाई करनेवाले छात्रों और अस्पताल में इलाज करानेवाले मरीजों को परेशानी होती है। इसलिए, ऋण चुकाने के लिए 10 वर्ष से 30 वर्ष की अवधि का नियम उपयोगी होगा।
    सांसद श्री शेट्टी ने आगे कहा है कि मुंबई जैसे बड़े शहर में शैक्षणिक संस्थान और अस्पताल बनाने के लिए जमीन बहुत महंगी है। उसमें संस्था चलानेवाले संस्थापक द्वारा किये जाने वाले व्यय जैसे नगर पालिका प्रशासन द्वारा विकास कार्यों का शुल्क आदि का वहन एक तरह से  रोगियों एवं विद्यार्थियों को करना होता है। इस तरह ये दोनों विषय महंगे होते जा रहे हैं।
     सांसद श्री शेट्टी ने अनुरोध किया है कि  "शिक्षण संस्थानों और अस्पतालों के निर्माण के लिए बैंक ऋण चुकाने की दस साल की समय सीमा को बदलकर तीस साल करने से मध्यम वर्ग और गरीबों को सस्ती दरों पर शिक्षा और दवा उपलब्ध होगी। और यह संस्थानों को चलाने वाले संस्थापकों के लिए भी बड़ी राहत का मुद्दा होगा।"