मातृ दिवस पर विशेष कविता : माँ जैसा न कोई जग में...
मातृ दिवस पर विशेष कविता : माँ जैसा न कोई जग में...
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माँ ही सबसे महान है
इसकी गोद मे मिलता सबको, सुकून का जहान है।
यही है माता,यही गुरु है,
यही अंत और यही शुरू है।
कोमल इसकी काया चाहे , दिल में बसता इसके पुरू है।
हर बात में इसकी सीख छुपी और बहता अमृत ज्ञान है।
माँ जैसा न कोई जग में, माँ ही सबसे महान है।
रहे पास या दूर औलादें, करती दुआओं से लबरेज़।
जगा निराशा में आशाएं
जीवन की बनती रंगरेज
रक्षा की खातिर माँ हमारी,
हर जंग में देती जान है
माँ जैसा न कोई जग में, माँ ही सबसे महान है।
ये ही जननी,ये ही सनत है।
यही दवा और यही मन्नत है।
यही है ममता,यही है विद्या, यही ग्रंथ और यही जन्नत है।
यही हमारी ढ़ाल है बनती , ये ही दीन ईमान है।
माँ जैसा न कोई जग में, मां ही सबसे महान है।
करके दफन अभिलाषा अपनी, झोली खुशियां से भरती।
क्षुधा शांत करके वो हमारी, खुद भूखी प्यासी मरती।
सब्र सुकूँ वो रखके मुख पर, घर का रखती मान है।
माँ जैसा न कोई जग में, माँ ही सबसे महान है।
धूप में छाँव मुझे कर देती, सारे दु:ख मेरे हर लेती।
जब होती हूँ कष्ट में तन्हा, बाहों में भर सम्बल देती।
गुण कितने इक देह में भरे , वो अमिट गुणों की खान है।
माँ जैसा न कोई जग में', माँ ही सबसे महान है।
इसकी गोद मे मिलता सबको, सुकून का जहान है।
* कवयित्री : रजनी श्री बेदी ( जयपुर - राजस्थान )