लघु कथा : सहनशक्ति और स्नेह
लघु कथा : सहनशक्ति और स्नेह
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किसी शहर में एक लड़की रहती थी , उसकी अभी नई-नई शादी हुई थी ससुराल में उसकी सासू मां रोज उसको ताने मारती रहती थी ...
एक दिन उसे अपने पति के साथ कुछ सामान लेने बाजार जाना था , वह लोग अभी निकल ही रहे थे तभी उसकी सास वहां आ गई
" अरे बहू , तू तो अपने पिताजी की दी हुई गाड़ी में जाएगी ?
जो दहेज में तेरे पिताजी ने दिया था?"
लड़की को यह सुनकर बहुत तेज गुस्सा आया और उसने अपनी सास को खरी-खोटी सुना दी। यह सब सुनकर उसके पति को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा
वह अपनी पत्नी को डांटने लगा " देखो तुम मेरी मां से इस तरह से बात नहीं कर सकतीं, वह बड़ी हैं, अगर कुछ बोल भी देती हैं तो तुम चुपचाप सुन लिया करो .…"
अब दूसरे ही दिन लड़की गुस्से में अपने पिताजी के घर आ गई और उनसे कहने लगी " पापा मैं उस घर में अब कभी नहीं जाऊंगी , हर रोज मां जी मुझे ताने मारती रहती हैं ...."
" बेटा मेरी बात ध्यान से सुनो " पिताजी ने कहा " जब तेरी सास तुझे ताने मारे या कुछ भी गलत बोले तो तू पलट के कभी जवाब मत देना अगर इसके बाद भी हालात नहीं सुधरा तो मैं तुझे वापस ले आऊंगा" पिताजी ने अपनी बेटी से कहा था ...
जब लड़की वापस अपनी ससुराल गई तो उसकी सास जब कुछ भी अनाप शनाप बोलती या ताने देती थी तब भी वह कभी पलटकर जवाब नहीं देती थी ।
" देखो मेरी बहू तो कितनी प्यारी है ,वह मुझसे पलट कर जवाब तक नहीं देती " उसकी सास अपने पति से कहने लगी थी ।
कुछ दिन बाद लड़की के पिताजी जब अपनी बेटी को देखने गए और वापस लौट कर आने लगे तो उन्होंने अपनी बेटी से कहा " तुम भी तैयार हो जाओ, अपना सामान पैक कर लो । तुम तो हमेशा के लिए मेरे से घर आने वाली हो ना ? " पिताजी ने अपनी बेटी से कहा था ।
" नहीं- नहीं पापा, मैं इस घर में बहुत खुश हूं , यहां सारे लोग बहुत अच्छे हैं अब मेरा घर परिवार सब यही है । मैं आपके घर नहीं आ सकती।" बेटी ने अपने पिता जी को समझाते हुए कहा था ।
इसके बाद उसके पिताजी मंद मंद मुस्कुराते हुए अपने घर वापस आ गए थे ।
* लेखिका : कविता सिंह( गौतम बुद्ध नगर, नोएडा)