कविता : मुरलिया वाले बंसुरिया वाले
कविता : मुरलिया वाले बंसुरिया वाले
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मुरलिया वाले,बसुरिया वाले तेरी जय हो।
तेरी जय हो तेरी जय हो,तेरी जय हो तेरी जय हो।।
ब्रज में लीला खूब रचाया।
गोपी ग्वाल को नाच नचाया।
नगरिया वाले,लुगरिया वाले तेरी जय हो।।
ग्वालिन आकर उल्हन सुनाई।
मटकी दूध-दही की गंवाई।
गगरिया वाले,कमोरिया वाले तेरी जय हो।।
कालिदह के नाग नथैया।
गोवर्धन धारी हे कन्हैया।
संवरिया वाले,नजरिया वाले तेरी जय हो।।
वृंदावन के नटवर नागर।
पार लगा देना भवसागर।
पुजरिया वाले,नवरिया वाले तेरी जय हो।।
बिगड़ी सबकी बनाने वाले।
घर-घर दीप जलाने वाले।
डेहरिया वाले,दुवरिया वाले तेरी जय हो।।
मुरलिया वाले,बसुरिया वाले तेरी जय हो।
तेरी जय हो तेरी जय हो,तेरी जय हो तेरी जय हो।।
* कवि : विनय शर्मा दीप ( मुंबई )