शिव की नगरी काशी में ‘मां सती के 51 शक्तिपीठ एवं द्वादश ज्योतिर्लिंगों का महासमागम’: सनातन एकता की अद्भुत झांकी
शिव की नगरी काशी में ‘मां सती के 51 शक्तिपीठ एवं द्वादश ज्योतिर्लिंगों का महासमागम’: सनातन एकता की अद्भुत झांकी
* संवाददाता
वाराणसी, 30 नवंबर 2024 :शिव की पवित्र नगरी काशी में शनिवार को सनातन धर्म के इतिहास का एक ऐसा अध्याय लिखा गया, जो धर्म, संस्कृति और एकता के प्रतीक के रूप में सदियों तक याद रखा जाएगा। रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में आयोजित ‘मां सती के 51 शक्तिपीठ एवं द्वादश ज्योतिर्लिंगों का महासमागम’ ने भारत और पड़ोसी देशों के सनातन धर्मावलंबियों को एकजुट करते हुए सनातनी संस्कृति की भव्यता और एकता को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
कार्यक्रम का शुभारंभ 51 महिलाओं द्वारा किए गए सामूहिक शंखनाद से हुआ, जिसके बाद मां सती की प्रतिमा और शिवलिंग का अनावरण किया गया। आयोजन में भारत, श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान के 51 शक्तिपीठों और द्वादश ज्योतिर्लिंगों के प्रतिनिधियों सहित 400 से अधिक साधु-संतों और पीठाधीश्वरों ने भाग लिया।
बांसुरी के सुरों ने बढ़ाई भव्यता
कार्यक्रम की सबसे अनूठी बात थी बांसुरी की मधुर धुन, जिसने पूरे आयोजन को आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक गौरव से सराबोर कर दिया। ब्रह्मर्षि योगीराज श्री भारत भूषण भारतेंदु (संस्थापक, श्री हरि नारायण सेवा संस्थान, पालघर) द्वारा चलाए जा रहे ‘हर हाथ बांसुरी, हर सांस बांसुरी’ अभियान का उल्लेख करते हुए संतों ने बांसुरी को सनातन धर्म की सांस्कृतिक एकता और शांति का प्रतीक बताया।
ब्रह्मर्षि श्री भारत भूषण जी ने कहा, “बांसुरी केवल एक वाद्ययंत्र नहीं, बल्कि भगवान श्रीकृष्ण का दिव्य संदेश है। यह हमें सिखाती है कि जब सांसें ईश्वर के प्रति समर्पित हो जाती हैं, तो जीवन भी संगीतमय हो जाता है। यही संदेश सनातन धर्म की आत्मा है।”
पालघर संत समागम 2025 का निमंत्रण
ब्रह्मर्षि श्री भारत भूषण जी ने 2025 में पालघर में प्रस्तावित संत समागम का विशेष रूप से उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “पालघर, जो एक समय संतों की निर्मम हत्या के लिए कुख्यात हुआ, अब सनातन धर्म के प्रचार और संतों के सान्निध्य का केंद्र बनेगा। हमारा लक्ष्य है कि हर घर तक भगवान का संदेश और संतों का आशीर्वाद पहुंचे।”
उन्होंने पालघर में अपने संघर्षों का उल्लेख करते हुए बताया कि आश्रम पर हमले और जान से मारने की धमकियों के बावजूद, वे सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में अडिग हैं। संत समागम में देश-विदेश के संतों और धर्माचार्यों को आमंत्रित करते हुए उन्होंने कहा, “यह आयोजन सनातन धर्म की ध्वजा को और ऊंचा करेगा।”
सनातन धर्म की चुनौतियों पर चर्चा
कार्यक्रम में धर्मस्थलों के बीच सामंजस्य की कमी और प्रबंधन की चुनौतियों पर भी विचार-विमर्श हुआ। आयोजक डॉ. रमन त्रिपाठी ने कहा, “यह महासमागम केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि सनातन धर्म के प्रचार और संरक्षण की दिशा में एक क्रांति है। बांसुरी की तरह, हम सबको एक सुर में बजने की आवश्यकता है।”
आध्यात्मिक समापन.…
कार्यक्रम का समापन भगवान श्री कृष्ण और श्री राम के भजनों की मनमोहक प्रस्तुति से हुआ। बांसुरी की मधुर धुन ने उपस्थित जनसमूह को भावविभोर कर दिया। डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने इस आयोजन को प्रदेश और देश के लिए गौरवपूर्ण बताते हुए कहा, “काशी से शुरू हुआ यह अभियान सनातन धर्म की एकता को विश्व पटल पर नई पहचान देगा।”