सांसद गोपाल शेट्टी ने नियम 377 के अंतर्गत सदन के पटल पर रखा पुरातत्व विभाग से जुड़ा अत्यावश्यक सुझाव

सांसद गोपाल शेट्टी ने नियम 377 के अंतर्गत सदन के पटल पर रखा पुरातत्व विभाग से जुड़ा अत्यावश्यक सुझाव

सांसद गोपाल शेट्टी ने नियम 377 के अंतर्गत सदन के पटल पर रखा पुरातत्व विभाग से जुड़ा अत्यावश्यक सुझाव


* अमित मिश्रा

     नई दिल्ली : जीर्णशीर्ण सांस्कृतिक धराहरों को उन्हें उनका मूल रूप देकर संरक्षित करने की मांग उठाते हुए उत्तर मुम्बई के लोकप्रिय सांसद गोपाल शेट्टी ने नियम 377 के अंतर्गत सदन के पटल पर पुरातत्व से जुड़ी अत्यावश्यक बात रखकर माननीय सदन का इस ओर ध्यान आकर्षित किया है।

   साँसद गोपाल शेट्टी ने विस्तार से अपनी बात  रखते हुए कहा है कि भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासतों के पुरातत्त्वीय अनुसंधान तथा संरक्षण के लिये एक प्रमुख संगठन है तथा इसका प्रमुख कार्य राष्ट्रीय महत्व के प्राचीन स्मारकों तथा पुरातत्वीय स्थलों और अवशेषों का रख-रखाव करना है। इसके अतिरिक्त, प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के प्रावधानों के अनुसार यह देश में सभी पुरातत्वीय गतिविधियों को विनियमित करता है। लेकिन, प्रायः यह देखने में आया है कि आज देश में जितनी भी गुफाएं या गुम्बद हैं, वहां पर पहले हिन्दू सभ्यता के मंदिर थे या वहां पर हिन्दू देवी-देवताओं के मंदिर बनाए गए थे, कालांतर में मुगल शासकों और अंग्रेजों ने इनको जीर्णशीर्ण कर दिया। आज संरक्षित सांस्कृतिक धरोहर में कहीं नंदी बैल टूटे हुए हैं तो अनेक स्थलों पर अर्द्धनागेश्वर जीर्णशीर्ण स्थिति में है। इनको जीर्णशीर्ण स्थिति में संरक्षित रखने का कोई औचित्य नहीं है।
    सांसद गोपाल शेट्टी ने आगे कहा है कि  ए०एस०आई को चाहिए कि जीर्णशीर्ण सांस्कृतिक धराहरों को उन्हें उनका मूल रूप देकर संरक्षित किया जाए। 
  अंत में सांसद शेट्टी ने अनुरोध किया है कि ए०एस०आई० के अधीन हिन्दू धार्मिक सांस्कृतिक धरोहर, जो जीर्णशीर्ण स्थिति में संरक्षित किये जा रही है, उन्हें उनका मूल रूप देकर संरक्षित किए जाने हेतु सकारात्मक कदम उठाये जाएं।