कजरी : ननदी पतिया लिखिके सइयां क बोलाइ द

कजरी : ननदी पतिया लिखिके सइयां क बोलाइ द

कजरी : ननदी पतिया लिखिके सइयां क बोलाइ द  , सवनवां सजाइ द न !
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   गौना आए अभी कुछ दिन ही बीते थे कि प्रियतम परदेश चले गए। उन्होंने वादा किया था कि सावन में घर वापस आ जाऊंगा। बार-बार चिट्ठी लिखने और फोन करने के बावजूद वह परदेश से नहीं लौटे। जब सारे जतन बेकार गए तो नायिका ने अपनी ननद से कहा कि तुम्हारे भइया तुम्हें बहुत मानते हैं, उन्हें अपनी कसम धरा कर रक्षाबंधन के बहाने बुलाइए। भाभी ने तमाम प्रलोभन देते हुए कहा -

ननदी पतिया लिखिके सइयां क बोलाइ द 
 *सवनवां सजाइ द न ।*

तोहरे सइयां क बोलइबइ,
तनि बतावा,हम का पइबइ?
तोर भतार हउवें,खत खुदइ पठाइ द
 *सवनवां सजाइ ल न ।*

लिखलीं बार-बार पतिया,
हम अगोरे दिनवां-रतिया,
कइसे अइहैं तोहरे भइया तनि बताइ द 
 *सवनवां सजाइ द न ।*

हमसी करेलू झगरवा,
फाने रहा लू रगरवा,
जेतनी मर्जी होवइ,चुंगुलिया लगाइ ल
 *सवनवां सजाइ ल न ।*

बात मानि ल्या हमारी,
हमरी ननदी सबसे प्यारी,
भूल चूक जवन भइली अब भुलाइ द
 *सवनवां सजाइ द न ।*

तोहरे भइया घरवा अइहैं,
दुलहा निक क खोजि लइहैं,
पियर हथवा कइसे होई तनि बताइ द 
 *सवनवां सजाइ द न ।*

जल्दी पाती लिखि पठावा,
अपने भइया क बोलावा,
ओनके राखी वाली कसमियां धराइ द 
 *सवनवां सजाइ द न ।*

तोहरा विरनवां न आए,
तोहके बुआ के बोलाए,
केकरा कजरवा लगइबू तनि बताइ द 
 *सवनवां सजाइ द न ।*

ननदी नाचि के अंगनवां,
लिखलीं,आवा हे विरनवां,
कसम हमरी, हमसी रखिया बन्हाइ ल 
 *सवनवां सजाइ द न ।*

* रचनाकार : सुरेश मिश्र ( मुम्बई )    (हास्य-व्यंग्य कवि एवं मंच संचालक)