पर्यावरण पर एक विशेष कजरी : इक ठो पेड़ मां के नाम पर लगावल जाई
पर्यावरण पर एक विशेष कजरी : इक ठो पेड़ मां के नाम पर लगावल जाई, दुनिया बचावल जाई न.....
*************************
आज दुनिया ग्लोबल वार्मिंग से परेशान हैं। कहीं बाढ़ तो कहीं अकाल। विकास के नाम पर जंगलों की कटाई हो रही है। पर्यावरण की भयावहता को देखते हुए एक मित्र ने दूसरे मित्र से कहा-
एक पेड़ मां के नाम पर लगावल जाई
*दुनिया बचावल जाई न।*
पेड़ काटि घर सजइब्या,
प्राणवायु कहवां पइब्या,
आई कोरोना त झुनझुना बजावल जाई
*कइसे जग बचावल जाई न।*
घायल पर्यावरण आज,
मुला समुझे न समाज,
वन्य काटि के जउ सहरिया बसावल जाई
*कइसे जग बचावल जाई न।*
शहर बनल हउवें आंवां,
गांउ होइ गएन पंजावां,
धरती तपइ जइसे तावा,कऽ बतावल जाई
*दुनिया बचावल जाई न।*
कतहुं सूखा, कतहुं बाढ़,
कतहुं दरकेला पहाड़,
झाड़ रहि न जाई,फल कहां से खावल जाई
*दुनिया बचावल जाई न।*
पेड़ माई जी के नाम,
देखभाल सुबहोशाम,
जब ले बड़ा होइ न जाइ,तउ रखावल जाई
*दुनिया बचावल जाई न।*
आधी खेती,आधी बारी,
जउ न करिहैं नर व नारी,
अपने कर्मवां क फल भी यहीं पावल जाई
*कइसे जग बचावल जाई न।*
सुना-सुना हो सुरेश,
तबइ कटिहैं सब क क्लेश,
*हरी-भरी धरती माई के करावल जाई*
*तबइ जग बचावल जाई न।*
इक ठो पेड़ मां के नाम से लगावल जाई,
*दुनिया बचावल जाई न।*
* रचनाकार : सुरेश मिश्र
( प्रसिद्ध हास्य-व्यंग्य कवि और मंच संचालक ) मुम्बई ...