प्राइवेट अस्पतालों द्वारा मरीजों से अनाप-शनाप बिल वसूलने का सांसद गोपाल शेट्टी ने लोकसभा में उठाया मुद्दा, किया सवाल...

प्राइवेट अस्पतालों द्वारा मरीजों से अनाप-शनाप बिल वसूलने का सांसद गोपाल शेट्टी ने लोकसभा में उठाया मुद्दा, किया सवाल...

प्राइवेट अस्पतालों द्वारा मरीजों से अनाप-शनाप बिल वसूलने का सांसद गोपाल शेट्टी ने लोकसभा में उठाया मुद्दा, किया सवाल ...


 * अमित मिश्रा

     नई दिल्ली : कुछ प्राइवेट अस्पतालों द्वारा अपने यहां भर्ती होने वाले मरीजों से वसूले जाने वाले अत्यधिक शुल्क से चिंतित उत्तर मुंबई के सांसद गोपाल शेट्टी ने आज लोकसभा में मानवीय संवेदना से युक्त मामला उठाकर सदन का ध्यान खींचा।

    सांसद शेट्टी ने इस अवसर पर कहा कि स्वास्थ्य के मामले में हमारी सरकार ने देश में बहुत बड़ा बदलाव लाया है ।आयुष्मान भारत कार्ड योजना से लेकर जेनेरिक मेडिसिन को बढ़ावा देते हुए उत्कृष्ट कार्य किया है। ऐसे में मरीजों के स्वास्थ्य विषय में बदलाव तो हुआ ही है पिछले साढ़े 9 वर्षों में देश के स्वास्थ्य में भी बड़ा बदलाव आया है। मेरी चिंता यह है कि केंद्र व महाराष्ट्र सरकार के इतना अच्छा कार्य करने के बावजूद शहरी भागों में कुछ प्राइवेट अस्पताल हैं जहां पर पेशेंट एडमिट हो जाए तो उन्हें 20 से 25 लाख का बिल थमा दिया जाता है वह भी मात्र सात-आठ दिन हॉस्पिटल में एडमिट होने पर। इसकी शिकायत करने पर भी कोई रिजल्ट भी नहीं आता है। सांसद शेट्टी ने इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री से पूछा कि इस प्रकार की उनके मंत्रालय को कितनी शिकायतें मिली हैं और  क्या कार्रवाई की गई है ।

    सांसद शेट्टी के प्रश्न के उत्तर में स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर मनसुख मांडविया ने कहा कि ऐसे मामलों में जहां डॉक्टर/अस्पताल अधिक चार्ज लेता है इसके लिए नेशनल मेडिकल कमिशन में एथिक बोर्ड है ।इस बोर्ड के पास ऐसी शिकायत आने पर तत्काल कार्रवाई अवश्य होती है और कई बार अधिक वसूला गया शुल्क वापस भी करने को कहा गया है ।दुनिया के लिए स्वास्थ्य का मामला भले ही व्यवसाय हो, पर हमारे महान भारत में यह पेशा एक सेवा है ।
    स्वास्थ्य मंत्री ने कोविड काल का जिक्र करते हुए कहा कि उस काल में जब कोविड पीक पर था तो दुनिया के हेल्थ मिनिस्टरों से उनकी बात होती थी ।वह कहते थे कि उनके यहां डॉक्टरों, नर्सों  और पैरामेडिकल स्टॉफ की बेहद कमी है ।पर मैंने उन्हें अपने यहां के बारे में बताया कि हमारे हिंदुस्तान के अस्पतालों में डॉक्टरों ,नर्सों से लेकर सारा स्टॉफ इस मोर्चे पर डंटकर अपनी सेवाएं दे रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे देश में स्वास्थ्य का विषय एक सेवा है और विदेशों में यह है एक कॉमर्स।