कविता : तू चेतना है !
कविता : तू चेतना है !
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- मिलीता चौधरी
लोगों के ताने, होते हैं बहाने
चाहे दुनियां , लगे आजमाने
तुम चल पड़ना, किसी बहाने....
मंजिल तुम्हें , पुकार रही है
हर मुश्किल तुम्हें , सुधार रही है...
रुक जाना नहीं मंझधार में,
अवरोध खड़े होंगे कतार में!
जीवन का एक , ध्येय बनाओ
दृढ़ संकल्प से, उसको पाओ।
रोना मत रोओ दुखों का,
गीत मत गाओ सुखों का!!
तू चेतना है , बस इतना जान ले,
ना किसी की मां,बेटी,बहन,
बस , इतना मान ले...
- गौतम बुद्ध नगर ( नोएडा )