कविता - माँ
कविता - माँ
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कल सोशल मीडिया पर,
देखा मां से प्यार
तार-तार दिल हो गए ,
नैन बहे जलधार
नैन बहे जलधार,
यार भ्रम सभी छोड़ दो
भारत में जितने वृद्धाश्रम
आज तोड़ दो
कह सुरेश यदि बतिया,
दो प्रतिशत सच होती
मां की ममता बिलख-बिलखकर
यूं ना रोती ।
- सुरेश मिश्र
( वरिष्ठ कवि व मंच संचालक )