कविता : चाहे जितनी यारी रख
कविता : चाहे जितनी यारी रख
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चाहे जितनी यारी रख,
बातें प्यारी-प्यारी रख।
करना है व्यापार अगर तो
अपनी हिस्सेदारी रख ।
यार सभी दुख तू ही लेगा,
मेरी भी तो बारी रख।
जो लाचार बना दे जीवन,
ऐसी मत लाचारी रख।
चाहत है तो तुझे मिलेगी,
अपनी कोशिश जारी रख।
प्यार-मुहब्बत, रिश्ते-नाते,
कुछ तो दुनियादारी रख।
मौसम भी तेवर बदले है,
थोड़ी-सी होशियारी रख।
देंगे लोग तवज्जो तुमको,
बातें हाहाकारी रख।
खुदा मिलेंगे कैसे तुमको,
थोड़ी तो खुद्दारी रख।
जिम्मेदार सभी हैं जग में,
तू भी जिम्मेदारी रख।
शौक बेंच देवें जो खुशियां,
मत ऐसी बीमारी रख।
* कवि : सुरेश मिश्र ( मुंबई)