गजल : बताओ आखिर कब तक
गजल : बताओ आखिर कब तक ***************************
सहते रहते दर्द,
बताओ आखिर कब तक ।
वह मेरा हमदर्द,
बताओ आखिर कब तक ॥
मिली न रोटी किसानों को,
कर ली, जीवन की हत्या ।
भरते रहते कर्ज,
बताओ आखिर कब तक ॥
दूर हो गए हैं हम,
अब तो सारी दुनियादारी से ।
हम्ही निभाते फर्ज,
बताओ आखिर कब तक ॥
किन्नर बनकर घूम रहे हैं,
" रवि " वो पैसों के खातिर ।
बन कर रहते मर्द ,
बताओ आखिर कब तक ॥
* रवि यादव
( मुंबई )