सावन विशेष कविता : भरी के गंगाजल गगरी
सावन विशेष कविता :
भरी के गंगाजल गगरी....
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कवि : शास्त्री सुरेन्द्र दुबे 'अनुज ' जौनपुरी*
सावन पावन मंगलमय हो,
काशी विश्वनाथ की जय हो
काशी विश्वनाथ की जय हो
काशी विश्वनाथ की जय हो
बम बम भोले बोलें कांवड़िए शिव नगरी,
भरी के गंगाजल गगरी।।
जय हो बैजू बैजनाथ ,
जय रामेश्वर, सोमनाथ,
जय रामेश्वर सोमनाथ,
जय रामेश्वर सोमनाथ ,
हर हर महादेव जय भीमाशंकर लहरी,
भरी के गंगाजल गगरी।
बम बम भोले बोलें कांवड़िए शिव नगरी,
भरी के गंगाजल गगरी।।
जय केदारनाथ जय बैद्यनाथ,
जय अमरनाथ अविनाशी,
जय अमरनाथ अविनाशी हो भोले,
जय अमरनाथ अविनाशी,
रतिया दिनवां गूंजे रहिया हर हर सगरी,
भरी के गंगाजल गगरी।।
बम बम भोले बोलें कांवड़िए शिव नगरी,
भरी के गंगाजल गगरी।।
त्र्यंबकेश्वर घृश्नेश्वर नागेश्वर में डमरू बाजे
उज्जैनी में महाकाल कालेश्वर शंभु विराजैं
हर हर महादेव हर बम बम भोले लहरी,
भरी के गंगाजल गगरी।
बम बम भोले बोलें कांवड़िए शिव नगरी,
भरी के गंगाजल गगरी।।
हर कंकर में शिवशंकर की छबि देखैं नर नारी,
हाथ जोड़ गंगा भरि गगरी अनुज खड़े शिव डेहरी,
अनुज खड़े शिव डेहरी भोले,
अनुज खड़े शिव डेहरी,
भावै भांग धतूरा बेलपत्र शिव लहरी,
भरी के गंगाजल गगरी।
बम बम भोले बोलें कांवड़िए शिव नगरी,
भरी के गंगाजल गगरी।।
द्वादश ज्योतिर्लिंग की महिमा वेद पुराण बतावै,
लोटा भरि गंगाजल सावन मास जे शंभु अन्हवावै,
शिव के लोक बसे अघ पाप हरें भयहारी,
भरी के गंगाजल गगरी।
बम बम भोले बोलें कांवड़िए शिव नगरी,
भरी के गंगाजल गगरी।।
हर हर महादेव
हर हर महादेव
हर हर महादेव