अश्विनीकुमार मिश्र की कलम से विशेष रचना " जीवन के दोहे.."..
अश्विनीकुमार मिश्र की कलम से विशेष रचना
जीवन के दोहे....
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कण कण सब सोना हुआ
मन का कोना रोये
जो जितना चिंतन करे
मनवा सोना होये
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जिंदगी की नाव में
संबंधों को आस
जो जितना उड़ पायेगा
उतना मिले आकाश
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नरम नरम सी धूप है,
ठंढ ठंढ एहसास
इंद्रधनुषी हो गया
मौसम का मधुमास
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मन पर इतनी बर्फ गिरी
जमे सभी एहसास
चोटों के इन घाव पर
कौन रखे अब हाथ
-धड़कन थमने सी लगी
छूट रही सब आस
क्या जाने कब बुझेगी
जीवन की यह प्यास
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रग रग डूबा राम में
मन ही मन करे गुहार,
धर्म अनोखा रच गया
जीवन का व्यापार
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धर्म आचरण एक -सा
तभी मनुष्यता पूर्ण,
कौचर्यों के द्वन्द में,
उलझा जीवन पूर्ण।
* अश्विनी कुमार मिश्र ( मुंबई )
( श्री अश्विनीकुमार मिश्र जी देश के प्रख्यात वरिष्ठ पत्रकार तथा मुंबई से प्रकाशित होनेवाले प्रथम सांध्य दैनिक निर्भय पथिक के संपादक हैं )