फेमटेक की मदद से महिलाओं की हेल्थकेयर में आ रहा है बड़ा बदलाव !
फेमटेक की मदद से महिलाओं की हेल्थकेयर में आ रहा है बड़ा बदलाव !
* हेल्थ डेस्क
2021 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में लगभग आधी आबादी महिलाओं की है और वे परिवार में खरीदारी के फैसलों और जिम्मेदारियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। फिर भी, वे अपनी सेहत की फिक्र को नजरअंदाज कर देती हैं और आमतौर पर आखिर में डॉक्टर के पास जाती हैं। अगर वे जाती भी हैं, तो उनमें से ज्यादातर फॉलो-अप विजिट या टेस्ट नहीं करवाती हैं, जोकि किसी भी बीमारी को पूरी तरह से ठीक करने के लिये जरूरी हैं। वे सिर्फ दवाएं लेती हैं, लक्षणों के हटने का इंतजार करती हैं और लंबे समय का या स्थायी समाधान तलाशने के बजाए काम पर लौट आती हैं। यह खतरनाक हो सकता है, क्योंकि बीमारी अक्सर पलटकर आती है या और भी बदतर हो सकती है और इस स्थिति में बदलाव होना चाहिये।
जेनवर्क्स के एमडी एवं सीईओ एस. गणेश प्रसाद ने बताया कि भारतीय बाजार में पेश किये गये फेमटेक प्रोडक्ट्स की रेंज की बदौलत महिलाएं अब घर बैठे-बैठे अपनी परेशानी को समझ सकती हैं और उसका उपचार भी कर सकती हैं। यह प्रोडक्ट्स महिलाओं में प्रजनन तंत्र, उर्वरता, अंडोत्सर्ग चक्र, रजोनिवृत्ति और जीवनशैली से जुड़ी विभिन्न समस्याओं से निपटने के लिये टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने वाले सॉफ्टवेयर और डायग्नोस्टिक्स की श्रेणी में आते हैं। उनका इलाज टेलीहेल्थ और ऑनलाइन कंसल्टेशंस जैसी नई टेक्नोलॉजीज द्वारा किया जा सकता है। यह सुविधायें खासकर ऐसे मामलों में अच्छी साबित होती हैं, जहाँ विशेषज्ञ डॉक्टर तुरंत उपलब्ध नहीं होते हैं।
सेहत की परेशानियों के मामले में, प्रजनन तंत्र को प्रभावित करने वाले रोग महिलाओं में तुलनात्मक रूप से आम हैं, खासकर गर्भधारण वाली उम्र में। फिर भी, कुछ महिलाएं ही निदान या उपचार के लिये पहल करती हैं, क्योंकि इसकी पारंपरिक विधियाँ बहुत दर्द देने वाली, लंबी और कभी-कभी तो क्रूर भी हो सकती हैं। उदाहरण के लिये, यूटेराइन फाइब्रॉइड्स दुनियाभर की महिलाओं को प्रभावित करने वाले सबसे मामूली ट्यूमर्स में से एक हैं, कभी-कभी यह संख्या 80 प्रतिशत तक होती है, यह मरीज की उम्र पर निर्भर करता है। कई गायनेकोलॉजिस्ट्स अभी 175 साल पुराने मेडिकल प्रोसीजर पर भरोसा करते हैं, जिसे ब्लाइंड डी एण्ड सी कहा जाता है। यह प्रक्रिया मरीजों के लिये सेहत के गंभीर जोखिम पैदा करती है, क्योंकि प्रत्यक्ष रूप से देखने के अभाव में शरीर में फाइब्रॉइड्स का पता नहीं लग पाता है। ऐसी स्थिति में एमएचटीआर (मेकैनिक हिस्टेरोस्कोपिक टिश्यू रिमूवल) सिस्टम्स जैसी अत्याधुनिक टेक्नोलॉजीज गेम-चेंजर बन सकती हैं। इसके द्वारा सर्जन 98% तक खराब ऊतकों को निकालने के अलावा एक बार में ही देख लेने और उपचार का काम कर सकते हैं। 80 प्रतिशत से ज्यादा मामलों का इलाज एनेस्थेसिया के बिना और कम से कम दर्द में हो सकता है।
फेमटेक एक और बेहद महत्वपूर्ण क्षेत्र में मदद कर रहा है और वह है ब्रेस्ट से लेकर सर्विक्स तक कैंसर की जाँच और इसके इलाज। ब्रेस्ट कैंसर के मामले में, मौत के प्रमुख कारणों में से एक है बीमारी का देरी से पता लगना। मौजूदा विधियाँ, जैसे कि मैमोग्राफी और सोनोग्राफी ज्यादातर 50 साल या ज्यादा उम्र की बुजुर्ग महिलाओं में की जाती है। जवान महिलाएं छूट जाती हैं, लेकिन भारत में उनके बीच कैंसर की दर बढ़ रही है। यह नई टेक्नोलॉजी उस सूरत में अनमोल हो सकती है, जब अगर किसी महिला में कोई लक्षण नजर नहीं आ रहे हों तब भी उसकी बीमारी का जल्द पता लगा लिया जाए। इसमें स्तनों में थर्मल बदलावों का पता लगाने की अनूठी क्षमता होती है। इस्तेमाल होने वाली तकनीक है लिक्विड क्रिस्टल थर्मोग्राफी, जिसका महत्व ट्यूमर के विकास के बढ़ते कैंसर वाली जगह में ज्यादा तापमान से जुड़े होने के कारण है।
महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर से ज्यादा ब्रेस्ट कैंसर की जानकारी है, जोकि सेहत की एक और बड़ी परेशानी है और जिसकी रोकथाम की जा सकती है। सर्वाइकल कैंसर करने वाले वायरस एचपीवी 16 और एचपीवी 18 का इंक्युबेशन लंबा होता है। 15 से 25 साल तक के लिये टीके प्रभावी होते हैं। लेकिन 25 साल से ज्यादा की महिलाओं के लिये इस प्रकार के कैंसर की जाँच और इलाज के उपकरण चाहिये। नई टेक्नोलॉजी पर आधारित, एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) से सक्षम उपकरणों और बैटरी से चलने वाले उपकरण का संयोजन बहुत असरदार साबित हुआ है। पहला उपकरण बिना चीर-फाड़ के सर्विक्स का स्पष्ट चित्र देता है, जबकि दूसरा उपकरण चित्रों के आधार पर कैंसर वाले घाव हटा सकता है।
फेमटेक के अनुसार उसका आशय जाँच और इलाज साथ-साथ करने से है, ताकि महिलाओं के पास अपनी सेहत पर ध्यान ना देने का कोई बहाना न रहे। महिलाओं की मौखिक जाँच कर जीवनशैली की समस्याओं से निपटने वाले उपकरण भी पाइपलाइन में हैं। लेकिन वियरेबल्स यानी पहनने योग्य उपकरण भविष्य हैं। महिलाएं जल्दी ही ऐसे कपड़े पहन सकेंगी, जो उनके शरीर में होने वाले बदलावों को पहचान लेंगे और उन्हें फोन पर हेल्थ अलर्ट्स मिल जाएंगे। आज हम फेमटेक में जो कुछ भी देख रहे हैं, वह उस क्रांति की शुरूआत भर है, जो महिलाओं की तंदुरूस्ती को बदलकर रख देगी।