बाल-कथा : मूर्ख बेटा !
बाल-कथा : मूर्ख बेटा !
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किसी शहर में बाप-बेटे रहते थे,बेटे का नाम सोनू था । एक कार एक्सीडेंट में सोनू की मां का देहांत हो गया था, घर में अब सिर्फ सोनू और उसके पिताजी ही थे ।
एक दिन सोनू कॉलेज से आया और हाथ-मुंह धोने के उपरान्त खाना खाकर अपने पापा के साथ टीवी देखने बैठ गया।
इतने में उसके पापा उससे सवाल पूछने लगे " अच्छा ये बताओ आजकल तो तुम्हारे इम्तहान चल रहे हैं , कॉलेज कैसा जा रहा है ? "
सोनू बोला पापा इम्तहान बहुत अच्छा जा रहा और अच्छे नंबर से पास होने की उम्मीद है।
उसके पापा को बहुत ज्यादा खुशी मिली । अपने बच्चे की बात को मुस्कुराते सुनने के बाद उन्होंने कहा "बहुत बढ़िया बेटे , इसी तरह से मेहनत करके पढ़ाई किया करो ।'
फिर बाप-बेटे शांति से टीवी देखने लगे ।
रात को जब सोनू अपने पिता जी के साथ खाना खाने बैठा तो उन्होंने फिर से वही सवाल पूछ लिया" अभी तो परीक्षा ही चल रही है तुम्हारी न ? "
पर इस बार सोनू को बहुत गुस्सा आया और वो झुंझलाकर अपने पिता से बोला "दोपहर में भी आपने यही सवाल पूछा था और मैंने आपको बता दिया था ,अब फिर से वही सवाल.. मैं तो परेशान हो जाता हूं आपसे....।"
अपने बेटे की बातें सुनकर सोनू के पिता की आंखो में आंसू आ गए। उन्होंने कहा " बेटा जब तू छोटा सा था ना , तब एक ही सवाल हमसे और अपनी मां से दस बार पूछा करता था और हमलोग कभी परेशान नहीं होते थे ,तुम्हारे हर सवाल का जवाब हम हंसकर देते थे और आज सिर्फ दो बार कुछ पूछ देने से तुम इतना परेशान हो गए....जब तुम खुद पिता बनोगे तब समझ पाओगे मां - बाप का प्यार ।"
* लेखिका : कविता सिंह
( गौतम बुद्ध नगर - नोएडा )