कविता : रूठ सी गयी है जिंदगी...
कविता : रूठ सी गयी है जिंदगी...
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रूठ सी गयी है जिंदगी
रुक सी गयी है रवानगी
टोह ले ली ख्वाहिशों की भी
बच गयी हैं सिर्फ संजीदगी
रूठ सी गयी है जिंदगी....
वही कालीन वही गलीचे
वही नजाकत वहीं सलीके
वैसे ही गुजरें दिन बीते वैसी ही रातें
वही सफेदपोश कहानी वैसे ही रंग दी
रूठ सी गयी है जिंदगी....
वो जो पास है वो काफी नहीं
वक़्त भी है मय भी प्यास भी
पर यह गुस्ताखी नहीं
ना तुमसे अलग ना ही तेरी नुमांइदगी
रूठ सी गयी है जिंदगी...
गम और खुशी के बीच की जो हद्द है
हासिल करने की वहीं तो जिद्द है
खुद से खुद की यही तस्वीर रंग दी
रूठ सी गयी है जिंदगी
रुक सी गयी है जिंदगी ...
* रचनाकार : राजेश कुमार लंगेह ( बीएसएफ - छत्तीसगढ़ )