श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर सुरेश मिश्र की कलम से विशेष कविता "हे कृष्ण-हरे कृष्ण"
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर सुरेश मिश्र की कलम से विशेष कविता "हे कृष्ण-हरे कृष्ण"
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हर कला सम्राट है जो,
संकटों की काट है जो,
विश्व का नायक हमारी -
संस्कृति की ठाट है जो।
है सुदर्शन मगर धीरज धारता जो,
गालियां सौ सहता है,फिर मारता जो,
बालपन से कंस के आतंकियों को
चुटकियों में देखिए संहारता जो।
अहिर है या जाट है वो,
पतित पावन घाट है जो,
असुर - दंभी के लिए तो
दांव धोबिया पाट है जो।
नाग का जो नथ नथैया,
लाज रखता बनकर भैया,
शक्ति ऐसी जग विजेता,
मगर मुरलीधर कन्हैया।
प्रेम की भी हाट है वो,
हर भ्रमित की बाट है वो,
सनातन -हिंदुत्व पूजक -
संस्कृति का ललाट है वो।
देवकी का लाल है जो,
यशोमति का भाल है जो,
सारथी कुरुक्षेत्र में, पर-
पार्थ का भी ढाल है वो।
मोक्ष पथ का कपाट है वो,
विरक्ति पथ का सपाट है वो,
है राधिका का,ये मीरा का भी
विराट में भी विराट है वो ।
* रचनाकार : सुरेश मिश्र
(हास्य-व्यंग्य कवि एवं मंच संचालक) मुम्बई ...