कविता : पितृपक्ष
कविता : पितृपक्ष
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पितृपक्ष चालू हुआ, पिंडदान कर आज
जिन पुरखों के अंश हैं,उन पर करिए नाज
उन पर करिए नाज,दीजिए मिलकर पानी
अपने बच्चों को बतलाएं रोज कहानी
कह सुरेश हर परंपरा की रीति निभाएं
जीवित माता-पिता नहीं भूखे रह जाएं।
* सुरेश मिश्र
(कवि एवम् मंच संचालक ) मुंबई...