सांसद श्री गोपाल शेट्टी के झोपड़पट्टी पुनर्वसन संघर्ष के प्रयासों को सरकारी बूस्टर कब ?  

सांसद श्री गोपाल शेट्टी के झोपड़पट्टी पुनर्वसन संघर्ष के प्रयासों को सरकारी बूस्टर कब ?  

सांसद श्री गोपाल शेट्टी के झोपड़पट्टी पुनर्वसन संघर्ष के प्रयासों को सरकारी बूस्टर कब ?


* अमित मिश्रा

     मुम्बई को झोपड़पट्टी मुक्त करने के  विज़न का लक्ष्य निर्धारित कर हरसंभव कोशिशों में जुटे उत्तर मुंबई के सांसद श्री गोपाल शेट्टी के प्रयासों को हालांकि अभी अधिक सफलता नहीं मिल पाई है, परंतु अपने इस मोर्चे पर वे मजबूती से अब भी डंटे हुए है। हर हाल में लोकतांत्रिक पद्धति से संघर्ष करते हुए  झोपड़पट्टीवासियों को उनके अधिकार का घर दिलाने हेतु सांसद श्री गोपाल शेट्टी का प्रयास अनवरत जारी है। 

बता दें कि मुंबई को झोपड़पट्टी मुक्त करने के श्री शेट्टी के संकल्प को अतिरिक्त बल तब मिला जब उनके मार्गदर्शन में भाजपा नेता डॉ.योगेश दुबे ने मानवाधिकार आयोग के समक्ष इसी संदर्भ में याचिका दायर कर दी थी। चाल में पहले महले के रहिवासियों को भी उनके अधिकार का पक्का मकान मिले इस हेतु सांसद श्री शेट्टी ने प्रशासन, गृह निर्माण मंत्रालय, महानगरपालिका, झोपड़पट्टी पुनर्वसन महामंडल एवम् अन्य संबंधित विभाग तक सभी दस्तावजों सहित पत्राचार  की सम्पूर्ण प्रक्रिया पूर्ण की थी । 

सांसद श्री शेट्टी के कार्यालय से उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडवणीस के कार्यकाल में सन 2018 में झोपड़पट्टी पुनर्वसन योजना के संदर्भ में नवीन संशोधन नियम लागू किया गया था। तदनुसार पहले माले के 2011 के पूर्व के झोपड़ाधारकों को सभी और पूर्ण दस्तावेज उपलब्ध होने की सूरत में विकास प्रकल्प के अंतर्गत पक्के मकान आबंटित किए जाना था । पर मामला सरकारी दफ्तरों की विभिन्न टेबलों पर इधर-उधर सरकता ही रहा, इस कार्य की अंमलबजावणी नहीं हुई। तब हारकर मानवाधिकार आयोग की शरण लेनी पड़ी।मामला चूंकि मानवाधिकार आयोग तक पहुँच गया था अतः सभी को विश्वास था कि ठोस व योग्य निर्णय अब आ जाएगा। 

सांसद श्री शेट्टी के कार्यालयीन सूत्रों ने बताया  कि  भाजपा नेता डॉ. योगेश दुबे की याचिका के बाद अब  गृहनिर्माण विभाग (महाराष्ट्र राज्य ) के प्रधान सचिव मिलिंद म्हैस्कर ने केंद्रीय मानवाधिकार आयोग के समक्ष मांगे गए जवाब  के उत्तर में 2001 के झोपड़पट्टी पुनर्वसन नियम को दाखिल किया है । जब कि संशोधित कानून 2018 को संदर्भ बनाकर उनको जवाब देना  चाहिए था। 

सांसद गोपाल शेट्टी के अनुसार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के स्वप्न 2024 तक ' सबको मिले-घर अपना ' की स्वप्नपूर्ति को लेकर जहां हम झोपड़पट्टी मुक्त मुंबई और महाराष्ट्र की बात और प्रयास कर रहे हैं, वहीं गृह निर्माण विभाग के प्रधान-सचिव कथित रूप से पुराने कायदे-कानून दिखाकर राष्ट्रीय मानववाधिकार कार्यालय की दिशाभूल करने का प्रयास कर रहे हैं। 

सांसद श्री शेट्टी का कहना है कि 2017 के संशोधित कानून अनुसार सन 2011 के पहले से निवास कर रहे सभी अधिकृत पहले माले वाले झोपड़ा धारक को एसआरए  योजना के अंतर्गत अथवा सरकार के विकास प्रकल्प में बाधित झोपड़ों के पुनर्वसन के समय हक का मकान आबंटित किये जाना चाहिए । लेकिन इस कानून को ताक पर रखकर प्रधान सचिव ने लालफीताशाही का उदाहरण सामने लाया है। जबकि महाराष्ट्र सरकार के गृहनिर्माण मंत्री श्री जितेंद्र आव्हाड ने भी सांसद गोपाल शेट्टी से हुई मुलाकात के दौरान सकारात्मक रवैया अपनाया था। साथ ही संबंधित विभाग, अधिकारियों को 2017/18  के संशोधित झोपड़पट्टी पुनर्वास कानून का अमलीकरण हो, इस पर कथित ढंग से दिशा- निर्देश दिए थे। 
2020 के अप्रैल में माह में केंद्रीय मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी को भी सांसद श्री गोपाल शेट्टी ने पूर्ण ब्यौरा देकर इस संदर्भ में विस्तार से अवगत कराया था एवम् केंद्र द्वारा भी इस विषय पर सहयोग की मांग उनसे की थी। 

सांसद गोपाल शेट्टी ने मानवाधिकार आयोग में महाराष्ट्र के गृह निर्माण विभाग के प्रधान सचिव मिलिंद म्हैस्कर  द्वारा दाखिल किए गए पुराने जीआर संदर्भ को अत्यंत गंभीरता से लिया है । मानवाधिकार आयोग जैसे प्रतिष्ठित विभाग का सम्मान करते हुए उन्होंने आगे कहा कि लगातार पत्राचार, दस्तावेजों के सबूत, नए जीआर संदर्भ,  महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, गृह-निर्माण मंत्रालय, झोपड़पट्टी पुनर्वसन प्राधिकरण, महानगरपालिका और महाराष्ट्र के महामहिम राज्यपाल तक सर्व विषय विदित करने के बावजूद महाराष्ट्र के गृह निर्माण विभाग के प्रधान सचिव द्वारा पुराने जी. आर.  का हवाला मानवाधिकार आयोग में सादर करना लालफीताशाही नहीं तो और क्या है। ये बिल्कुल बेजवाबदार व्यवहार है। एक तरफ प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पूरे देश में गरीबों को अधिकार के घर आबंटित करने की प्रक्रिया चल रही तब महाराष्ट्र राज्य के गृह निर्माण विभाग से दिशाभूल करनेवाले पुराने जीआर को दाखिल करने की बात ही अप्रासंगिक व दुःखद है।

केंद्रीय मानवाधिकार आयोग से सांसद गोपाल शेट्टी ने विनंती की है कि झोपड़पट्टी पुनर्वसन विषय पर 2018 के संशोधित जी.आर. को अमल में लाया जाए और मुंबई महानगर को झोपड़पट्टी मुक्त करने की दिशा में सकारात्मक कदम उठाया जाए।